टाइम्स ऑफ इंडिया और दैनिक जागरण की खबरों में दिखा सर्विलांस के प्रति समर्थन! पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा है। लेकिन, आए दिन ये खबरें आती रहती हैं कि आज सरकार की ओर से या सरकार की किसी ‘खास एजेंसी’ की ओर से राष्ट्रहित में या व्यापक जनहित में फ़लाँ व्यक्ति पर या किसी संस्था पर सर्विलांस किया गया! मीडिया...
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अर्थशास्त्रियों ने कहा, वृद्धावस्था-विधवा पेंशन और मातृत्व लाभ की धनराशि बढ़ाना जरूरी
डाउन टू अर्थ, 23 दिसम्बर आगामी बजट 2023-24 को ध्यान में रखकर भारत सहित दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के 51 प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण से सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मातृत्व लाभ योजना के तहत दी जाने वाली धनराशि को बढ़ाने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि वर्तमान में दी जाने वाली धनराशि अनुचित है। सभी अर्थशास्त्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि हमने...
More »सुरक्षा की आड़ में महिला छात्राओं पर प्रतिबंध लगाना ‘पितृसत्ता’ है: केरल हाईकोर्ट
द वायर, 01 दिसंबर केरल हाईकोर्ट ने कोझिकोड मेडिकल कॉलेज के महिला छात्रावास में कर्फ्यू पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि सुरक्षा की आड़ में इस तरह के प्रतिबंध और कुछ नहीं बल्कि पितृसत्ता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अदालत ने कहा कि पितृसत्ता के सभी रूपों, यहां तक कि वे भी जो लिंग के आधार पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए हैं, से असहमति व्यक्त की जानी चाहिए. अदालत...
More »गरीबी और असमानता
[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...
More »पानी और साफ-सफाई
खास बात - भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 626 मिलियन है। यह संख्या 18 देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संयुक्त संख्या से ज्यादा है।# -ग्रामीण इलाकों में केवल २१ फीसदी आबादी के घरों में शौचालय की व्यवस्था है।* -पेयजल आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कुल १,५०,७३४९ ग्रामीण मानव बस्तियों में से केवल ७४ फीसदी में पूरी तरह और १४ फीसदी में...
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