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अब भी कम नहीं आर्थिक चुनौतियां - सुषमा रामचंद्रन

कई बार हमें जैसा दिखता है, वैसा होता नहीं। फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में भी यह बात सच लगती है। हां, यह सही है कि अर्थव्यवस्था को लेकर खुशी का माहौल है और शेयर बाजार सूचकांक नई बुलंदियों को छू रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि आगामी वर्ष के लिए देश का आर्थिक परिदृश्य उतना सुहावना नजर नहीं आता। हां, ऑटोमोबाइल्स और उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में उछाल...

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भूख से मरी बच्चियों की याद में--- शशिशेखर

शिखा, मानसी और पारुल के नाम आजाद भारत का इतिहास यकीनन अपने पन्नों में दर्ज नहीं करेगा। उसे सिर्फ नायकों, खलनायकों और विदूषकों का लेखा-जोखा रखने की बुरी आदत है। आप सोच रहे होंगे कि रविवार की सुबह मैं किन लोगों की राम कहानी लेकर बैठ गया। बता दूं, दिल्ली के मंडावली इलाके में ये तीन बच्चियां इस बीतते हफ्ते की शुरुआत में अचानक दम तोड़ गईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता...

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रेपो रेट बढ़ाये जाने के मायने-- डा. अश्विनी महाजन

अधिकतर अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों की अपेक्षाओं को गलत साबित करते हुए मौद्रिक नीति कमेटी ने 6 जून, 2018 को लगभग साढ़े चार साल के बाद ‘रेपो रेट' में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए उसे 6.25 प्रतिशत कर दिया. गौरतलब है कि दो साल पहले तक रेपो रेट के बारे में निर्णय रिजर्व बैंक गवर्नर ही किया करते थे. अभी यह निर्णय रिजर्व बैंक गवर्नर की अध्यक्षता में छह सदस्यों...

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रुपया संभालने में सक्षम आरबीआई-- राजीव रंजन झा

सोमवार को कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय भावों में आयी उछाल और उसके साथ ही डॉलर की मजबूती ने भारतीय रुपये पर दोहरा वार किया और रुपया डॉलर की तुलना में 67 के स्तर के नीचे चला गया, यानी एक डॉलर की कीमत 67 रुपये से ज्यादा हो गयी. यह करीब डेढ़ साल में रुपये का सबसे कमजोर स्तर है. लोगों ने आशंका जतायी कि आनेवाले दिनों में डॉलर का भाव...

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मंदी व शेयरों में तेजी के अंतर्विरोध-- भरत झुनझुनवाला

इस समय सकल घरेलू उत्पाद या ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) में वृद्धि वापस पटरी पर आ चुकी है। देश में कुल उत्पादन की मात्रा का ब्योरा जीडीपी से मिलता है। नोटबंदी से पहले हमारी जीडीपी की ग्रोथ रेट 7 से 8 प्रतिशत रहती थी। नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद यह ढीली पड़ गई थी। अब यह पुरानी दर पर वापस पहुंच गई है। दूसरा शुभ संकेत शेयर बाजार...

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