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कानपुर में तेजी से पैर पसार रहा है जीका वायरस, 30 नये मरीज के साथ कुल संख्या 66 हुई

-द प्रिंट, कानपुर में 30 और लोग जीका वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. इसके साथ ही जिले में जीका वायरस के मरीजों की संख्या बढ़कर 66 हो गयी है. जिलाधिकारी विशाख जी. अय्यर ने शुक्रवार को बताया कि कानपुर में 30 और लोगों में जीका वायरस का संक्रमण पाया गया है. उन्होंने बताया कि जिले में जीका वायरस के संक्रमण का पहला मामला पिछली 23 अक्टूबर को सामने आया था जब भारतीय...

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तन मन जन: कोरोना ने प्राइवेट बनाम सरकारी व्यवस्था का अंतर तो समझा दिया है, पर आगे?

-जनपथ, कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-2019) की महामारी ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करके रख दिया है। इस संक्रमण के दौर में सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत जनता के सामने आ गयी, साथ ही दोनों के बीच विरोधाभास की कलई भी खुल गयी है। कोरोना महामारी से जूझते हुए देश की सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था ने अपनी रंगत दिखा दी और अब यह साफ तौर...

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पांच ट्रिलियन इकॉनमी के सपने वाले देश में एक पांच साल की मासूम बच्ची की पीने का पानी न मिलने से मौत

-गांव सवेरा, राजस्थान के जालोर जिले के सिरोही गाँव की अंजलि की पीने का पानी न मिलने से मौत हो गई. दादी सुखी (60) के साथ रिश्तेदार के घर जाते समय रास्ते में पानी न मिलने के कारण अंजली ने दम तोड़ दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सुखी देवी ने बताया है कि उनको लगभग 9 किमी दूर जाना था. मुख्य सड़क के रास्ते दूरी लगभग दोगुनी पड़ती है...

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कभी न भूलें: कोविड-19 से बचे एक पीड़ित की अपील

-न्यूजक्लिक, नोबेल पुरस्कार विजेता और होलोकॉस्ट(हिटलर के नरसंहार) में बच गये एली विज़ेल ने कहा था,'तटस्थता पीड़ित को नहीं,बल्कि उत्पीड़क को मदद पहुंचाती है। मौन उत्पीड़ित को नहीं,बल्कि ज़ुल्म करने वालों को ही हमेशा प्रोत्साहित करता है।' इसी रौशनी में कोविड-19 के प्रकोप से बच गयी तान्या अग्रवाल हाल के इतिहास में किसी सरकार की सबसे बुरी व्यवस्थागत नाकामियों और ज़िम्मेदारियों की अनदेखी को कभी नहीं भूलने के सिलसिले में लिखती हैं। तान्या...

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क्या तीसरी लहर से पहले खुल पाएंगे ग्रामीण PHC और CHC में लटके ताले?

-जनपथ, कोरोना की दूसरी लहर का सामना करने के बाद जिंदा बचा समाज खुद अपनी पीठ थपथपा रहा है। समाज और यूं कहें कि व्यक्तिगत तौर पर सुकून इस बात का है कि इस बार बच गये लेकिन भीतर खौफ ये कि अगर अगली बारी हमारी हुई तो क्या होगा? खौफ इस बात का है कि जिस सरकार को वोट देकर तख्त पर बिठाया है वो तो राजनीति में व्यस्त है।...

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