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कम पराली जलाने की घटनाओं और बारिश ने दिया साथ, दिल्ली-NCR 8 साल बाद सबसे कम प्रदूषित

दिप्रिंट, 13 दिसंबर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों में इस साल अक्टूबर और नवंबर महीने में प्रदूषण का स्तर पिछले आठ साल के मुकाबले कम रहा है. हालांकि, दिसंबर के महीने में हर साल प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है लेकिन इस बार बेहतर हवा की उम्मीद की जा सकती है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के एक हालिया विश्लेषण में कहा है कि अभी तक इस क्षेत्र में...

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पाताल के पानी का भरपूर दोहन कर रहे हैं हरियाणा, पंजाब और राजस्थान

भारत में बारिश के साथ आने वाली खरीफ की सीजन खत्म हो गई है। सर्द हवाओं ने रबी की सीजन का इस्तक़बाल कर दिया है। किसानों ने मोटर–पंपों के माध्यम से पानी को पाताल से खींचना शुरू कर दिया है। नलकूपों में चल रही मशीनों के लिए बिजली सरकार ने भेजी है। यानी राजा और प्रजा दोनों की इच्छा है कि पाताल से पानी खींच कर खेतों में छोड़ा जाए। इसी...

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बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच तकनीकी विशेषज्ञों की कमी से जूझते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

न्यूज़लॉन्ड्री, 10 नवम्बर इस साल एक नवम्बर को देश की राजधानी दिल्ली पूरी तरह से प्रदूषित जहरीली हवा के चंगुल में दिखी. इस दिन इस साल के वायु प्रदूषण के सारे रिकॉर्ड टूट गए जब शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 424 (बहुत खराब) तक जा पहुंचा. यह दिल्ली या उत्तर भारत के कई राज्यों के लिए सर्दियों में आम बात है. सर्दियों में इस तरह के वायु प्रदूषण से जूझने...

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एयर क्वालिटी ट्रैकर: दिल्ली में फिर बिगड़ा वायु गुणवत्ता का स्तर, 372 दर्ज किया गया सूचकांक

डाउन टू अर्थ, 08 नवम्बर  केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 08 नवंबर 2022 को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 172 शहरों में से केवल 10 में हवा 'बेहतर' रही, जबकि 40 शहरों की श्रेणी 'संतोषजनक', 66 में 'मध्यम' रही। वहीं 39 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर खराब दर्ज किया गया, जबकि 17 शहरों बल्लभगढ़ 311, बेगूसराय 355, भिवानी 327, दिल्ली 372, फरीदाबाद 345, गाजियाबाद 333, ग्रेटर...

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केवल रोजगार के आंकड़े काफी नहीं, रोजगार में गुणपूर्णता जरूरी!

बेहतर आर्थिक वृद्धि मौजूदा दौर के हर ‘राष्ट्र राज्य’ की पहली प्राथमिकता है। और इस प्राथमिकता को हासिल करने के लिए जरूरी है अर्थव्यवस्था का पहिया तेज गति से घूमे। पहिए की गति उत्पादन (प्रोडक्शन) पर निर्भर करती है। जितना अधिक उत्पादन होगा उतने ही अधिक गति से पहिया दौड़ेगा। उत्पादन मुख्यत दो कारकों पर टिका रहता है–पहला पूंजी और दूसरा मजदूर। लेकिन मशीनें आ जाने के बाद उत्पादन के मामले में...

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