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पिछले छह साल में रोजगार की तलाश करने वाली ग्रामीण महिलाओं की संख्या में 2.8 करोड़ की कमी आई

नई दिल्ली: साल 2004-05 से अब तक पांच करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाएं राष्ट्रीय बाजार की नौकरियां छोड़ चुकी हैं. साल 2011-12 से अब तक महिलाओं की भागीदारी 7 फीसदी कम हो चुकी है जिसका असर यह हुआ है कि करीब 2.8 करोड़ कम महिलाएं नौकरी की तलाश कर रही हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एनएसएसओ की पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या 15-59 आयु...

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एनएसएसओ रिपोर्ट पर किरकिरी के बाद सरकार मुद्रा योजना से मिले रोज़गार के आंकड़ों को पेश करेगी

नई दिल्लीः केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने बेरोजगारी पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की रिपोर्ट से किनारा करने की योजना बनाई है और इसकी जगह पर माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) योजना के तहत सृजित रोजगारों पर श्रम ब्यूरो के सर्वेक्षण के निष्कर्षों का इस्तेमाल करने की बात कही है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नीति आयोग ने गुरुवार को श्रम मंत्रालय से सर्वेक्षण की...

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किसानों की आमदनी में सालाना बढ़वार सिर्फ 5.6 फीसद- नाबार्ड की नई रिपोर्ट

हाल के सालों में खेतिहर परिवारों की आमदनी में किस रफ्तार से बढ़ोत्तरी हुई है ? अगर इस सवाल का जवाब एकदम नये तथ्यों के सहारे जानने चाहते हों तो राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) की एक हालिया रिपोर्ट आपके काम की साबित हो सकती है.   इस रिपोर्ट का नाम है नाबार्ड ऑल इंडिया रुरल फायनेन्शियल इन्क्लूजन सर्वे 2016-17 यानि संक्षेप में कहें तो एनएएफआईएस 2016-17 और इस रिपोर्ट का आकलन है कि...

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देश में शौचालय बहुत, मगर इस्‍तेमाल करने के लिए पानी नहीं

केन्‍द्र सरकार ने स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत देश भर में अक्‍टूबर 2014 से 9,093 करोड़ रुपए खर्च कर एक करोड़ 80 लाख्‍ा शौचालय बनवाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभियान को प्राथमिकता के तहत चलाने को कहा था, लेकिन नेशनल सैम्‍पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों (NSSO) ने अभियान की सफलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्‍वच्‍छ भारत अभियान शुरू होने के बाद से शौचालयों का कितना उपयोग बढ़ा है,...

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बजट 2016-17: खेती को पानी मिले, किसानों को वाजिब दाम

हालांकि नई फसल बीमा योजना को प्रधानमंत्री ने "कि‍सान की सारी मुसीबतों का समाधान" बताया है लेकिन लगातार दो दफे सूखे की चपेट में आई खेतिहर अर्थव्यवस्था की मौजूदा बदहाली नये बजट में फौरी तौर पर विशेष उपाय करने की मांग करती है.(देखें प्रधानमंत्री का भाषण)   एक ऐसी स्थिति में जब कृषिगत सकल घरेलू उत्पाद में लगातार दो वित्तवर्षों (2014-15 में -2%, 2015-16 में 1.1%) में बड़ा मामूली इजाफा हुआ हो,...

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