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भूख नहीं जानती सब्र-- संजीव पांडेय

दुष्यंत कुमार का शेर है : भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल संसद में है जेरे-बहस ये मुद्दआ। शायर इसमें हुक्मरानों की खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि वह जानता है कि भूख सब्र नहीं जानती। इसके बावजूद हमारी व्यवस्था गरीबों का इम्तहान लेती रहती है। महज कुछ दिनों के अंतर पर ही झारखंड में भूख से तीन मौतें हुर्इं; उस राज्य में जो खनिज संसाधनों...

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झारखंड माइनिंग शो - डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड के इस्तेमाल में झारखंड सर्वश्रेष्ठ

रांची : केंद्रीय खनन मंत्री पीयूष गोयल  और सीएम रघुवर दास ने संयुक्त रूप से झारखंड सरकार द्वारा आयोजित 'झारखंड माइनिंग सम्मेलन' का उद्घाटन किया. पीयूष गोयल ने झारखंड सरकार के कामकाज की सराहना करते हुए कहा कि कोयले के भंडारण मामले में झारखंड पहले नंबर पर है. ग्लोबल माइनिंग शो से सरकार का राजस्व बढ़ेगा और रोजगार भी मिलेगी. उन्होंने कहा कि अधिकांश खनन क्षेत्र आदिवासी इलाकों में होता...

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ग्राम सभा की बात-- अनुज लुगुन

साल 2013 में ओडिशा के नियमगिरि में वेदांता के बॉक्साइट खनन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ओर से कोई फैसला न सुनाते हुए वहां की ग्राम सभाओं को निर्णय देने का अधिकार दिया था. यह संभवत: स्वतंत्र भारत का ऐसा ऐतिहासिक फैसला था, जिसमें आदिवासियों ने अपने निर्णय से दुनिया की एक बड़ी कंपनी को मात दिया था. यह ग्राम सभा के द्वारा संभव हुआ था. ग्राम...

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मप्र में 40 करोड़ पौधे लगाने के बाद भी घट गई हरियाली

मनोज तिवारी, भोपाल। प्रदेश में हर साल 8 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए जा रहे हैं, फिर भी हरियाली बढ़ने की बजाय घट रही है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान की सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2013 और 2015 के बीच प्रदेश में 60 वर्ग किमी हरियाली घटी है। जबकि पौधरोपण पर हर साल औसतन 60 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इस हिसाब से पांच साल में...

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बड़े बांध का बड़ा विरोध-- नवीन जोशी

कई तकनीकी एवं कानूनी रुकावटों और लंबे जन-आंदोलनों के बावजूद सरदार सरोवर बांध अंतत: अपनी पूरी ऊंचाई के साथ हकीकत बन गया. मगर ‘एक आदिवासी के विस्थापन की तुलना में सात आदिवासियों को लाभ पहुंचाने' के दावे वाले, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इस बांध के उद्घाटन के साथ बड़े बांधों के व्यापक नुकसान की चर्चा थम नहीं गयी है.    बड़े बांधों के खिलाफ आवाज बुलंद करनेवालों के तेवर और...

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