डाउन टू अर्थ, 05 अप्रैल लोकसभा 2024 को चुनावी एजेंडे में पर्यावरण के मुद्दे को प्राथिमकता में लाने के लिए जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय ने सभी राजनीतिक दलों और उनके सांसदों को अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र में पीपुल्स रिवर प्रोटेक्सन बिल को शामिल करने की मांग उठाई है। एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जन आन्दोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि ‘2024 के लोकसभा चुनावों के...
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लुप्त होती परंपरा बचाने के लिए केरल के आदिवासियों ने दोबारा शुरू की बाजरे की खेती
मोंगाबे हिंदी, 20 मार्च केरल के अट्टापडी हाइलैंड्स में आदिवासी बस्तियों के किनारे पहाड़ी जंगलों में एक बार फिर से बाजरा के लहलहाते खेत नजर आने लगे हैं। यह इलाका पश्चिमी घाट के वर्षा छाया क्षेत्र में पड़ता है, जो एक आदिवासी बेल्ट है। कुछ समय पहले तक आदिवासी बाजरे की खेती से दूर जाने लगे थे। लेकिन आज बदलाव साफ देखा जा सकता है। इसके पीछे की बड़ी वजह न...
More »चामी मुर्मू: पेड़ और पानी से होते हुए पद्म श्री तक का सफर
मोंगाबे हिंदी, 07 मार्च पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली कोई भी संस्था या शख्स इन आंकड़ों पर हैरान हो सकता है। इसलिए, जब केंद्र सरकार ने झारखंड में सरायकेला-खरसावां जिले की रहने वाली पर्यावरणविद् चामी मुर्मू को 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म श्री सम्मान देने की घोषणा की, तो चयन समिति के दिमाग में उपरोक्त आंकड़े जरूर रहे होंगे। मुर्मू तीन दशक से ज्यादा समय से वृक्षारोपण,...
More »मध्य प्रदेश: वन मित्र पोर्टल में उलझे वन ग्राम, नहीं मिल पाया राजस्व ग्राम का दर्जा
डाउन टू अर्थ, 30 जनवरी “अपनी जमीन पर फसल लगाओ या जंगल से वनोपज लाओ, हमेशा कार्रवाई का डर लगा रहता है। न खाने को कुछ मिल रहा है और पीने को पीना। बिजली, सड़क तो दूर की बात है”। दनलू बैगा यह कहते-कहते निराश हो जाते है। दनलू मध्य प्रदेश के डिडौंरी जिले की फिटारी ग्राम पंचायत के लमोठा वनग्राम में एक हेक्टेयर (2.4711 एकड़) वनभूमि पर परिवार के आठ सदस्यों...
More »जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय पहल अधिक जरूरी क्यों?
इंडियास्पेंड, 04 जनवरी झारखंड के लातेहार जिले के नेतरहाट पहाड़ियों में बसे गांव दादीचापर में बिरजिया जनजाति के लगभग 35 परिवार रहते हैं। बिरजिया समुदाय भारत के सबसे दुलर्भ चिन्हित 75 आदिवासी समूहों में से एक है। बादलों से ढकी घुमावदार पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ यह क्षेत्र काफी मनोरम दिखता है। दादीचापर गांव, लातेहार शहर से 30 किलोमीटर दूर है और इस गांव तक एक पथरीली और घुमावदार सड़क...
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