कुछ मामलों में एक जैसे और ज्यादातर मामलों में एक-दूसरे से जुदा शांति और प्रशांत भूषण के छुए-अनछुए पहलुओं की पड़ताल करती रोहिणी मोहन की रिपोर्ट मई, 1995 की एक दोपहर को सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु ठक्कर अपने वकीलों प्रशांत और शांति भूषण के साथ सर्वोच्च न्यायालय में बैठे हुए थे. उनसे जरा-सी दूरी पर मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद एक ऐसा फैसला सुना रहे थे जो पूर्वी गुजरात के कम से कम...
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सतारा में अन्ना के तीन साथियों पर हमला
सतारा (महाराष्ट्र) अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले संगठन भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन के तीन आरटीआई कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने हमला कर दिया। इनमें एक कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल है। पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। सतारा मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का गृह जिला है। सहायक पुलिस निरीक्षक शंकरराव दामसे ने बताया कि आरटीआई कार्यकर्ता पीटर बर्गे को रविवार को अज्ञात व्यक्ति ने...
More »लोकपाल विधेयक- - आर-पार की लड़ाई
बीते महीने शिलांग में हुए सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि आरटीआई का कानून शासन में पारदर्शिता,जवाबदेही और जनता की भागीदारी की एक नई राह खोल रहा है। और अब ,नागरिक संगठनों द्वारा सरकारी लोकपाल बिल के विकल्प के रुप में जो मसौदा तैयार किया गया है उससे इस बात पर मुहर लग गई है। भ्रष्टाचार निरोधी जन लोकपाल बिल के नाम से...
More »बीपीएल से 36 लाख की खरीद!
जयपुर. बाड़मेर के एक सरपंच ने बीपीएल परिवार से जुड़े व्यक्ति की फर्म से 36 लाख रुपए की खरीद कर ली। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस बारे में उस व्यक्ति को जानकारी तक नहीं है, जिसके नाम से खरीद की गई। दो छोटे से झोंपड़ों में रहने वाला यह बीपीएल व्यक्ति चना खां पुत्र मसू खां खुद भी नरेगा का मजदूर है। खरीद में धांधली का यह मामला सामाजिक अंकेक्षण निदेशालय की...
More »आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?
जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए...
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