कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से एडटेक कंपनियों द्वारा शारीरिक कक्षाओं के विकल्प के तौर पर प्रचारित ऑनलाइन शिक्षण और शिक्षा, का हमारे देश में एक बड़ा उपभोक्ता आधार बन गया है. हालाँकि, समाज के वचिंत वर्गों में, ऑनलाइन शिक्षा का प्रभाव और फैलाव बहुत कम है. वास्तव में, हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद वर्ग और जाति-विभाजन की गहरी जड़ें डिजिटल शिक्षा तक लोगों की पहुंच को प्रभावित करता...
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पंजाब में महिलाओं के भूख हड़ताल का 97वां दिन,15 सितंबर को जयपुर में किसान संसद
-जनपथ, सरकार द्वारा किसानों की मांगों को मानने से इनकार करने के बाद बुधवार को एसकेएम नेताओं और करनाल जिला प्रशासन के बीच वार्ता विफल रही। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि जब तक एसडीएम आयुष सिन्हा को निलंबित नहीं किया जाता और मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाता, घेराव जारी रहेगा। मंगलवार को करनाल अनाज मंडी में किसान महापंचायत और जिला प्रशासन के बीच वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने...
More »केंद्र सरकार ने 2022-23 के लिए रबी फसलों की MSP में की बढ़ोतरी, खेतीबाड़ी जानकारों ने बताया नाकाफी
-गांव सवेरा, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2022-23 के लिए सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करने को मंजूरी दी है. सरकार ने आरएमएस 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी में इजाफा कर दिया है. सरकार ने गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और सूरजमुखी की सरकारी खरीद की कीमतों में इजाफा किया है. गेहूं की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 1975 रुपये प्रति...
More »देश के 15 जिलों की जमीनी पड़ताल-7: दूसरी लहर में क्या था उत्तर प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ का हाल
-डाउन टू अर्थ, डाउन टू अर्थ ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के सबसे अधिक प्रभावित 15 जिलों की जमीनी पड़ताल की और लंबी रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट को अलग-अलग कड़ियों में प्रकाशित किया जा रहा है। पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि कैसे 15 जिले के गांव दूसरी लहर की चपेट में आए। दूसरी लहर में आपने पढ़ा अरुणाचल प्रदेश के सबसे प्रभावित जिले का हाल। तीसरी...
More »COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!
मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...
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