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ग्रामोद्योग की फिक्र किसे है- अरुण तिवारी

निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न शुल्क और मंजूरियों में छूट से लेकर तकनीकी उन्नयन और इ-बिज पोर्टल जैसी तमाम घोषणाएं बजट में है। मंजूरियों में छूट को लेकर एक विधेयक लाने की तैयारी का संकेत भी कर दिया गया है। कहना न होगा कि वित्तमंत्री ने उद्योगों की तो खूब चिंता की, परग्रामोद्योगों को अब भी प्रतीक्षा है कि कोई आए और अलग से उनकी चिंता...

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नहीं डेवलप किया इंडस्ट्रियल प्‍लॉट तो वापस होगी जमीन, महाराष्‍ट्र ने की शुरुआत

नई दि‍ल्ली। जमीन की किल्लत के कारण औद्योगिक निवेश में पिछड़ रही राज्‍य सरकारों ने सख्‍त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। महाराष्‍ट्र सरकार ने इंडस्ट्रियल प्‍लॉट पर इकाई स्‍थापित करने में देरी करने वाले उद्योगों को नोटिस भेजकर जमीन वापस करने का आदेश दिया है। इसके अलावा मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ ने भी इंस्ट्रियल पार्क में 4 साल के भीतर उद्योग स्‍थापित करना अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा...

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मनमानी : जंगल का अफसर इंसानों के लिए खरीद रहा दवा!

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार ने इंसानों के लिए दवा खरीदने की जिम्मेदारी वन सेवा के अफसर (आईएफएस) सौंप रखी है। राज्य के आम लोगों के लिए दवा खरीदी करने वाली सरकारी संस्था छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) हर साल करीब 150 करोड़ रुपए से अधिक की दवा खरीदती है। इस कार्पोरेशन के संचालक प्रताप सिंह (आईएफएस) हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार कार्पोरेशन में एक भी डॉक्टर या दवा का विशेषज्ञ...

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मनरेगा में फेरबदल की तैयारी में सरकार, जरूरतमंद इलाकों में ही लागू होगी स्कीम

नई दिल्ली: यूपीए सरकार की ओर से लागू की गई मनरेगा स्कीम में अब मौजूदा ग्रामीण विकास मंत्री की ओर से तब्दीली की तैयारी है। ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी चाहते हैं कि दिहाड़ी और साजो-सामान के अनुपात को 60. 40 से घटा कर 51.49 कर दिया जाए। इसके साथ ही इस स्कीम को हर जगह लागू न करके केवल जरूरतमंद इलाकों में ही लागू किया जाए। राज्यों को यह अधिकार...

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क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई

लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...

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