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भारत के नागरिकों की खाद्य सुरक्षा- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और एक देश एक राशन कार्ड योजना- की पड़ताल!

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 44,762 करोड़ रूपए की अतिरिक्त धनराशी के साथ तीन माह के लिए और बढ़ा दिया गया है. यह योजना 1 अक्टूबर, 2022 से 31 दिसम्बर, 2022 तक की अवधि तक यथावत रहेगी. यह योजना का सातवा चरण है. सातवें चरण तक योजना का कुल खर्च 3.45 लाख करोड़ रूपए से बढ़कर 3.91 लाख करोड़ रूपए हो जाएगा. कोविड महामारी के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों की...

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सरकार ने कहा- देश में पर्याप्त खाद्यान्न भंडार, नियंत्रण में हैं गेहूं-आटा और चावल की कीमतें

अमर उजाला, 2 अक्टूबर रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी को शुरू हुआ युद्ध अब भी थमा नहीं है। ये दोनों देश बड़ी मात्रा में गेहूं समेत जरूरी खाद्यान्न को दुनियाभर को निर्यात करते हैं। युद्ध लंबा चलने के कारण दुनिया के सामने खाद्यान्न की चुनौती खड़ी हो गई है। इस बीच बीच रविवार को केंद्र सरकार ने लोगों की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि देश में पर्याप्त...

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ऐसी MSP योजना जो खेती का उद्धार करे

-गांव सवेरा, किसानों का संघर्ष जारी है। यह राजनीतिक सत्ता हासिल करने का संघर्ष नहीं है। यह संघर्ष है भारत की खेती और खेतिहर आबादी के बहुत बड़े हिस्से की आजीविका और रहन सहन को बेहतर करने का जो देश के ज्यादातर हिस्सों में बहुत ही बुरी दशा में है। इसलिए यह निहायत जरूरी हो गया है कि इस शांतिमय जनांदोलन को एक नई दिशा दी जाए ताकि छोटी खेती किसानी...

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गैर वाजिब बटवारा संसाधनों का पुनर्वितरण हमारे भविष्य के लिए अनिवार्य

-कारवां, 2019 में मैंने ट्विटर पर एक इन्फोग्राफिक देखा जिसमें पेड मैटरनिटी लीव (वैतनिक मातृत्व अवकाश) देने वाले देशों के नाम थे. पता चला कि संयुक्त राज्य अमेरिका वैतनिक मातृत्व अवकाश नहीं देता है. इस सूची में भारत का स्थान ब्रिटेन के बाद, दूसरे नंबर पर है. हमारे यहां 26 सप्ताहों का वैतनिक मातृत्व अवकाश मिलता है. मुझे यह बात जरूर खली कि मातृत्व अधिकार अधिनियम केवल संगठित क्षेत्र में लगी औरतों के...

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यूपी चुनाव 2022: प्रदेश में लाखों कुपोषित बच्चे, फिर भी 66% पोषण निधि नहीं हुई खर्च

-गांव कनेक्शन,  सर्द सुबह में, नन्ही रुसुदा प्लास्टिक की चादरों, सीमेंट की बोरियों और गूदड़ों से बनी अपनी झोंपड़ी में इस उम्मीद में भागी कि उसकी मां के पास खाने के लिए कुछ होगा। अंदर उसकी मां सन्नो के पास अपनी ढाई साल की बेटी को खिलाने के लिए कुछ नहीं था। वह बर्तनों से चिपका खाना खुरच कर निकालने लगी। खाने के लिए पिछली रात की थोड़ी सी बची हुई...

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