बजट 2017 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और इसे लेकर उत्सुकता का भाव इतना अधिक है, जितना शायद मोदी सरकार के 2014 में आए पहले बजट के समय भी न रहा हो। यह बजट नोटबंदी के बाद और मोदी सरकार के सत्ता में आने के तकरीबन तीन साल पूरे होने के अवसर पर पेश होने जा रहा है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बेहद विषम परिस्थितियों में...
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पानी के प्रबंधन में बुनियादी बदलाव की दरकार, बने नेशनल वाटर कमीशन-- मिहिर शाह समिति
आजादी के बाद से अबतक बड़े और मंझोले आकार की सिंचाई परियोजनाओं में 4 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं लेकिन ज्यादातर किसानों के लिए अब भी सिंचाई का पानी मुहाल है. सूखे की मार झेलती देश की खेती से जुड़ी इस तल्ख सचाई की तरफ ध्यान दिलाया गया है पानी का प्रबंधन सुधारने के मसले पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में. रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग(सीड्ब्ल्यूसी) और केंद्रीय भूजल बोर्ड के कामकाज...
More »स्मृति शेष : प्रकृति के पहरेदार का जाना
जाने-माने गांधीवादी और पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र अब हमारे बीच नहीं रहे. पर्यावरण के लिए वे तब से काम कर रहे हैं, जब देश में पर्यावरण का काेई विभाग नहीं खुला था. बगैर बजट के उन्होंने देश-दुनिया के पर्यावरण की जिस बारीकी से खोज-खबर ली, वह करोड़ों रुपये बजट वाले विभागों और परियोजनाओं के लिए संभव नहीं हो पाया है. वर्ष 1948 में वर्धा में जन्मे अनुपम प्रख्यात साहित्यकार भवानी...
More »संकट में वन्य जीव-- रीता सिंह
वर्ल्ड वाइल्ड फंड एवं लंदन की जूओलॉजिकल सोसायटी की हालिया रिपोर्ट चिंतित करने वाली है कि 2020 तक धरती से दो तिहाई वन्य जीव खत्म हो जाएंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में हो रही जंगलों की अंधाधुंध कटाई, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले चार दशकों में वन्य जीवों की संख्या में भारी कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1970 से 2012 तक...
More »भूजल की फिक्र किसे है-- दीपक रस्तोगी
विज्ञान पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस' का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि सिंधु और गंगा नदी के मैदानी क्षेत्र का तकरीबन साठ फीसद भूजल प्रदूषित हो चुका है। उसका दावा है कि चार दक्षिण एशियाई देशों में फैले इस विशाल क्षेत्र का पानी न तो पीने योग्य बचा है और न ही सिंचाई योग्य। हालत यह है कि कहीं भूजल सीमा से अधिक खारा हो चुका है तो कहीं उसमें...
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