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नया हिंदुस्तान: जहां बोलना मना है

-न्यूजलॉन्ड्री, अगस्त 2020 की एक दोपहर. रात भर की बारिश के बाद दोपहर की गर्मी की बजाय हवा में उमस है. दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के गेट पर लगे जामुन के पेड़ के आसपास पके जामुन बिखरे हुए हैं. कोविड-19 के आगमन के बाद से बंद पड़े प्रेस क्लब में छह महीने बाद कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कारवां पत्रिका के तीन पत्रकारों पर...

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लॉकडाउन में न्यायापालिका

-न्यूजक्लिक, सुप्रीम कोर्ट ने हाल में स्वत: संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के ट्वीट्स पर ‘कोर्ट की अवमानना’ की प्रक्रिया शुरू कर दी। कहा जा रहा है कि उनके एक ट्वीट में भारत के मुख्य न्यायधीश पर महामारी के दौर में न्याय व्यवस्था को लॉकडाउन में रखने से संबंधित टिप्पणी की गई थी। यहां लेखक महामारी में बतौर जरूरी सेवा, न्यायिक प्रक्रियाओं को जारी रखने में सुप्रीम कोर्ट के...

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जांच में फर्जीवाड़ा?

-इंडिया टूडे, दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों की जांच ने इस सप्ताह नया मोड़ ले लिया जब दिल्ली सरकार और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की तथ्यान्वेषी रिपोर्ट, में दिल्ली पुलिस पर जांच में 'पक्षपात' और हिंसा में 'लिप्तता' का आरोप लगाया. रिपोर्ट को नौ सदस्यों के पैनल ने तैयार किया है जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के वकील एम.आर. शमशाद कर रहे थे. यह दंगों पर अधिकृत किसी एजेंसी की...

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हिंदुओं की नाराजगी संबंधी पत्र पर हाईकोर्ट ने लगाई दिल्ली पुलिस को फटकार

-न्यूजलॉन्ड्री, शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) प्रवीर रंजन द्वारा दंगे से जुड़े मामलों में गिरफ्तारी को लेकर दिए एक आदेश पर दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैट ने इस आदेश को शरारतपूर्ण बताया. आठ जुलाई को दिल्ली पुलिस के विशेष सीपी प्रवीर रंजन ने दिल्ली में फरवरी महीने में हुए दंगों की जांच कर रहे अधिकारियों को एक आदेश...

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दिल्ली दंगा: क्या दिल्ली पुलिस जांच को 'विशेष दिशा’ में ले जाना चाहती है?

-आउटलुक, चीन के विपरीत भारत की सफल सरकारें बहुत कुछ पाने में सफल रही हैं। 1984 के दिल्ली दंगों और गुजरात में 2002 की सामूहिक जनसंहार से लेकर समय-समय पर सांप्रदायिक हिंसा और जम्मू-कश्मीर में दमन जैसी घटनाएं हुई। फिर भी भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा कटघरे में खड़ा होने से बच गया क्योंकि इसे लोकतंत्र के रूप में देखा जाता है। इन सभी मामलों में यह माना गया कि कानून का शासन...

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