मंडी. पहाड़ के जंगल अब यहां की जनता के हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने आदिवासी एवं अन्य परंपरागत वनवासी वनाधिकार मान्यता कानून 2006 अन्य वनवासी समुदायों के लिए भी लागू कर दिया है। सरकार ने 27 मार्च को सरकारी आदेश जारी कर दिए हैं। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में प्रदेश सरकार की ओर से 1 अप्रैल 2008 को ही इस कानून को लागू कर दिया गया था। अब अन्य...
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क्यों बढ़ रहा है जल-संकट? -- बाबा मायाराम
पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेष समेत देष भर में पानी का संकट बढ़ा है। यह समस्या प्रकृति से ज्यादा मानव-निर्मित है। वर्षा की कमी के साथ, वनों की अवैध कटाई, पुराने तालाबों पर अतिक्रमण, गाद भरने से सरोवरों की भंडारण क्षमता में कमी, पानी की फिजूलखर्ची, नदी, जलाषयों का पानी औद्योगिक इकाईयों को देने व षहरों के प्रदूषित पानी को नदियों के प्रदूषण और भूजल को बेतहाषा दोहन से समस्या...
More »खेती की उपेक्षा और खाद्य सुरक्षा- भारत डोगरा
जनसत्ता 21 मार्च, 2012: लोकसभा में पिछले वर्ष प्रस्तुत किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक से कोई सहमत हो या असहमत, पर इसके महत्त्च से इनकार नहीं किया जा सकता। मौजूदा रूप या इससे काफी मिलते-जुलते रूप में यह विधेयक पारित हो गया तो आने वाले अनेक वर्षों तक इसका हमारी खाद्य और कृषि व्यवस्था पर बहुत व्यापक असर पड़ेगा। इसलिए इस विधेयक से संबंधित जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे...
More »‘आप गलतफहमी के शिकार हैं. हमने भूमि सुधारों को बैकबर्नर पर नहीं डाला है’
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करना आसान नहीं. उन्हें केंद्र और राज्य दोनों तरह की सरकारों में काम करने का खासा अनुभव है. वे हिंदीभाषी प्रदेशों के उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जो बढ़िया वक्ता हैं. काफी पढ़े-लिखे हैं और राजनीति के उथल-पुथल वाले 70 और 80 के दशक में उन्होंने आजादी के बाद के, कांग्रेस से अलग धारा में काम करने वाले कई प्रमुख नेताओं के...
More »इंटरनेट पर गायों का लेखा-जोखा
बेझा गांव के राकेश रंजन उर्फ़ बब्बू सिंह हाइटेक पशुपालक और किसान हैं. 35 वर्षीय राकेश चार साल पहले आम लोगों में शुमार थे, लेकिन अपनी मेहनत और लगन के बल पर अब खास बन गये हैं. आधुनिक संचार साधन का इस्तेमाल कर परंपरागत खेती-किसानी का स्वरूप कैसे बदला जा सकता है, इसका बेहतर उदाहरण राकेश ने पेश किया है. बब्बू के पास उन्नत नस्ल की 19 गायें हैं, जिनमें से सभी का...
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