नई दिल्ली। लगातार दो साल सूखे के बाद इस बार अच्छी बारिश के चलते देश का खाद्यान्न उत्पादन चालू फसल वर्ष 2016-17 में नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यह उम्मीद जताई है। वह यहां गुरुवार को रबी फसल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में राज्यों के कृषि अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। फसल वर्ष 2013-14 में अब तक का...
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बालश्रमः मुरझाने न पाए पौध
रोचिका शर्मा : बाल मजदूरी हमारे देश की एक बड़ी समस्या है। दुनिया में सबसे ज्यादा बाल मजदूर भारत में हैं। छोटे शहरों में बच्चे जहां अपने पारिवरिक धंधों में लगे हैं वहीं बड़े शहरों में हर गली-मुहल्ले में या नुक्कड़ पर गांवों से लाए गए बच्चे या शहर की ही गरीब बस्तियों के बच्चे होटलों, घरों, लघु-उद्योगों आदि में बर्तन धोते, साफ-सफाई करते या सिलाई-बुनाई करते नजर आ जाते हैं।...
More »सरकारी पोटली खुलते ही बढ़ने लगा दलहन का रकबा
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली दलहन फसलों के लिए सरकार ने समर्थन मूल्य की पोटली खोली तो किसानों ने भी दिल खोलकर दालों की खेती करनी शुरू कर दी है। खरीफ बुवाई का ताजा आंकड़ा तो कुछ यही बयां कर रहा है। किसानों का कहना है कि दलहन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार घरेलू किसानों पर भरोसा करे तो उसे विलायती दाल मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दलहन फसलों की...
More »जरूरी है जूट को सरकारी संरक्षण-- पंकज चतुर्वेदी
सीएसीपी यानी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की ताजा सिफारिशें जूट के किसानों के लिए आफत बन सकती हैं। आयोग का कहना है कि चीनी मिलों में शत-प्रतिशत जूट के बोरे के इस्तेमाल की मौजूदा नीति को बंद कर दिया जाए तथा खाद्य पदार्थों में नब्बे फीसद जूट की अनिवार्यता को पचहत्तर फीसद किया जाए। अगर ऐसा हुआ तो बंगाल का जूट किसान भूखों मर जाएगा। यही नहीं, जूट कारखानों व...
More »वो 5 बातें जिनकी वजह से मनाना पड़ रहा है पृथ्वी दिवस
22 अप्रैल को दुनिया के 192 देश 46वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। लेकिन मात्र एक दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर हम प्रकृति को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं। जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण के बगैर जीवन असम्भव है। कोई दो राय नहीं कि अगर पृथ्वी खतरे में रहेगी तो मनुष्य जाति भी खतरे में रहेगी। दुर्भाग्यवश पृथ्वी का अस्तित्व खतरे...
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