Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | वो 5 बातें जिनकी वजह से मनाना पड़ रहा है पृथ्‍वी दिवस

वो 5 बातें जिनकी वजह से मनाना पड़ रहा है पृथ्‍वी दिवस

Share this article Share this article
published Published on Apr 22, 2016   modified Modified on Apr 22, 2016
22 अप्रैल को दुनिया के 192 देश 46वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। लेकिन मात्र एक दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर हम प्रकृति को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं। जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण के बगैर जीवन असम्भव है। कोई दो राय नहीं कि अगर पृथ्‍वी खतरे में रहेगी तो मनुष्‍य जाति भी खतरे में रहेगी। दुर्भाग्‍यवश पृथ्‍वी का अस्ति‍त्‍व खतरे में है। मानव के लिए यह पृथ्वी ही सबसे सुरक्षित ठिकाना है लेकिन अगर समय रहते इसकी रक्षा के लिए उचित कदम नहीं उठाएं गए तो इसे बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। आखिर ऐसी क्‍या समस्‍याएं हैं जिसके कारण आज पूरी दुनिया को पृथ्‍वी दिवस मनाना पड़ रहा है। इए जानते हैं ऐसी 5 बातें जिसके कारण पृथ्‍वी पर संकट बना हुआ है:

ग्‍लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व के लिए एक बड़ा पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दा है। सूरज की रोशनी को लगातार ग्रहण करते हुए हमारी पृथ्वी दिनों-दिन गर्म होती जा रही है जिससे वातावरण में कॉर्बनडाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। इसके लगातार बढ़ते दुष्प्रभावों से इंसानों के लिए बड़ी समस्याएं हो रही है। पृथ्‍वी के तापमान में पिछले सौ सालों में 0.18 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में वृद्धि हो चुकी है। माना जाता है कि अगर ऐसे ही तापमान में बढ़ोत्‍तरी हुई तो 21वीं सदी के अंत तक 1.1-6.4 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बढ़ जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में सूखा बढ़ेगा, बाढ़ की घटनाएं बढ़ेंगी और मौसम का मिजाज बुरी तरह बिगड़ा हुआ दिखेगा। असर दिखने भी लगा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं और रेगिस्तान पसरते जा रहे हैं।

वैज्ञानिकों और पर्यावरणवादियों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग में कमी के लिए मुख्य रूप से सीएफसी गैसों का ऊत्सर्जन कम रोकना होगा और इसके लिए फ्रिज, एयर कंडीशनर और दूसरे कूलिंग मशीनों का इस्तेमाल कम करना होगा या ऐसी मशीनों का उपयोग करना होगा जिनसे सीएफसी गैसें कम निकलती हैं।

ग्रीन हाउस गैस

ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः ग्‍लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदायी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं। कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले 15 सालों में 40 गुना बढ़ गया है। दूसरे शब्दों में औद्यौगिकीकरण के बाद से इसमें 100 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से है। कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम ईंधन और परंपरागत चूल्हे हैं।

अनियमित मौसम चक्र

मौसम की अपनी खासियत होती है, लेकिन अब इसका ढंग बदल रहा है। गर्मियां लंबी होती जा रही हैं, और सर्दियां छोटी। पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है। यही है जलवायु परिवर्तन। जलवायु परिवर्तन का असर मनुष्यों के साथ साथ वनस्पतियों और जीव जंतुओं पर देखने को मिल सकता है। पेड़ पौधों पर फूल और फल समय से पहले लग सकते हैं और जानवर अपने क्षेत्रों से पलायन कर दूसरी जगह जा सकते हैं। प्रतिदिन घटती हरियाली और बढ़ता पर्यावरण प्रदूष्‍ण नई समस्‍याओं को जन्‍म दे रहा है। इस कारण प्रकृति का मौसम चक्र भी अनियमित हो गया है। प्राथमिकता के आधार पर पेड़ों की कटाई रोकनी होगी और जंगलों के संरक्षण पर बल देना होगा।

पॉलीथिन बनी सिरदर्द

सुविधा के लिए बनाई गई पॉलीथिन एक बड़ा सिरदर्द बन गई है। पॉलीथिन नष्‍ट नहीं हो सकती और इसके कारण यह भूमि की उर्वरक क्षमता को खत्‍म कर रही है। साथ ही भूगर्भीय जल दूषित हो रहे हैं। इसको जलाने पर निकलने वाला धुआं ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचाता है जो कि ग्‍लोबल वार्मिंग का मुख्‍य कारण है। इस समय विश्‍व में हर साल प्‍लास्टिक का उत्‍पादन 10 करोड़ टन के लगभग है और इसमें हर साल 4 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हो रही है। भारत में हर साल लगभग 500 मीट्रिक टन पॉलीथिन का निर्माण होता है लेकिन इसके एक प्रतिशत से भी कम की रीसाइकलिंग हो पाती है। देश में हर साल लाखों पशु-पक्षी पॉलीथिन के कचरे से मर रहे हैं।

मानोकल्‍चर

हमारी अधिकांश खेती असंतुलित है जो पृथ्वी के लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर बहुत दबाव डालती है। आजकल आम तौर पर एक ही फसल की खेती की जाती है,जो अस्थिर पर्यावरण तंत्र को बढ़ावा देती है। अगर कोई किसान सिर्फ मक्‍का उपजाता है, तो वहां विनाशकारी कीटों को खाने वाले परभक्षियों के लिए कोई स्थान नहीं होगा, जिसकी वजह से कृत्रिम कीटनाशकों की जरूरत होगी। मोनोकल्चर या एकधान्य कृषि में बड़ी जड़ों वाली कोई फसल नहीं होती जो मिट्टी को पकड़ कर रख सके। इसके कारण मिट्टी का कटाव होता है। साथ ही, पोषक तत्वों को बहाल करने और मिट्टी में नाइट्रोजन की समस्या को हल करने वाली कोई फसल नहीं होती, जिस कारण रसायनिक उवर्रकों की जरूरत पड़ती है। दुनिया भर में कृषि भूमि बेकार हो रही है और हमारे सामने यह महत्वपूर्ण और अप्रिय सवाल उठ रहा है कि हमारी भावी पीढ़ियां अपना पेट कैसे भरेंगी।

 


- See more at: http://naidunia.jagran.com/world-five-reasons-to-celebrate-world-earth-day-723405#sthash.YlP0Ifp6.dpuf


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close