हिन्दुस्तान के लाखों लोगों की तरह मुझे भी हिमालय से मुहब्बत है। जरा सा मौका मिलते ही मैं खुद को इसकी चोटियों, खाइयों, खंदकों, घाटियों, नदियों, सरोवरों और निर्मल समीर के हवाले कर देता हूं। हर बार यह इंद्रधनुषी पर्वतमाला मुझे सुकून के साथ उदासी सौंपती है। वजह बताने की जरूरत नहीं। हम सब जानते हैं, हिमालय न होता, तो हम न होते। इसके शिखर मानसून को मदद देते हैं। इसके...
More »SEARCH RESULT
असली चुनौती अभी कायम है-- अजीत रानाडे
त्रैमासिक राष्ट्रीय आय पर 31 अगस्त को जारी आधिकारिक आंकड़े में बताया गया कि अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान देश के जीडीपी की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही. यह वृद्धि 7.5 अथवा 7.6 प्रतिशत की उम्मीद से ही नहीं, बल्कि 8 प्रतिशत के एक मनोवैज्ञानिक स्तर से भी स्पष्टतः अधिक थी, जो पिछली नौ तिमाहियों में सर्वाधिक होने की वजह से आर्थिक मोर्चे पर एक खुशखबरी है. पिछले...
More »ढहता हिमालय व गलते ग्लेशियर-- मृणाल पांडे
अगस्त का महीना देश के कई हिस्सों में तबाही लाया. केरल और हिमालयीन इलाके उससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. केरल की उफनाती बाढ़ के नजारे हमने देखे. इसी बीच खबर आयी कि शिमला में कई भवन टूट गये और नैनीताल में लोअर मालरोड झील में समा गयी. बसों का खड्डों में गिरना और उफनते नालों में बह जाना तो लगभग रूटीन हो चला है. यह आनेवाले समय के...
More »जड़ों से कटा आधारहीन वर्ग--पवन के वर्मा
एक ब्लॉगिंग साइट को दिये एक इंटरव्यू में मैंने यह कहा कि लुटियन (नयी दिल्ली का अंग्रेजों द्वारा निर्मित हिस्सा) का उच्च वर्ग चतुर्दिक जल से घिरे द्वीपों की तरह जड़ एवं आधार से रहित है, जिसकी पहचान सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी ही है. इसके पक्ष और विपक्ष में बड़ी तादाद में टिप्पणियां आयीं. इसलिए मैंने यह महसूस किया कि मुझे अपनी बात का आशय कुछ और विस्तार से प्रकट...
More »आक्रोश जरूरी है पर भीड़ की हिंसा शर्मनाक- कैलाश सत्यार्थी
देश में बच्चा चोरी के नाम पर मॉब लिंचिंग यानी उन्मादी भीड़ द्वारा निर्दोषों की हत्याएं लगातार बढ़ रही हैं। पिछले करीब डेढ़ महीने में त्रिपुरा, असम, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में ऐसी 20 हत्याएं हो चुकी हैं। सिर्फ हत्यारी भीड़ को ही नहीं, बल्कि इलाके के आम लोगों को शक था कि बच्चा चोर किडनियां बेचने, वेश्यावृत्ति कराने और शहरों में भीख मंगवाने के लिए...
More »