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एक नागरिक के तौर पर प्रवासी

-न्यूजक्लिक, हम अपने देश के इतिहास में सबसे डरावनी घटना के गवाह बने हैं। इस डरावनी घटना को एक राज्य से दूसरे राज्यों में अपने घरों में वापस लौटते मज़दूरों के दृश्य बयां कर रहे हैं। अनुमान है कि लॉकडाउन के चलते 2,71,000 फैक्ट्रियों और साढ़े छ: से सात करोड़ लघु और सूक्ष्म धंधे रुक गए, जिसके चलते करीब़ 11 करोड़ चालीस लाख नौकरियां चली गईं। इसमें 9 करोड़ 10 लाख...

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बिहार: मशरूम की खेती किसानों को आत्मनिर्भर बनाने वाली महिला की कहानी

-बीबीसी,  "मैं पिछले चार साल से यहां काम कर रहा हूँ. हर महीने आठ हज़ार रुपये मिलता है. लॉकडाउन के दौरान हम काम करते रहे और सैलरी मिली. लॉकडाउन में थोड़ी दिक्कत तो हुई ही. सभी को हुई. किसको नहीं हुई? सब परेशान हुए लेकिन मुझे कुछ खास दिक्कत नहीं हुई." यह कहना है 45 वर्षीय राजेश्वर पासवान का. राजेश्वर बिहार के वैशाली ज़िले के लालगंज गांव के रहने वाले हैं. इसी गांव...

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कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने ईमानदार कोशिश नहीं की

-द वायर, दो महीने के कड़े लॉकडाउन के बावजूद भी आज कोरोना वायरस संक्रमण का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने चिकित्सा व्यवस्था में सुधार के कोई प्रयास नहीं किए. इसका नतीजा है कि हर तीन में से दो जिलों के पास आज भी कोरोना जांच का इंतजाम नहीं है. राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में भी लोग बेड के अभाव में मर रहे हैं. मजदूरों को अमानवीय क्वारंटीन...

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अपने मजबूत इरादों के साथ, शीला देवी जुडी हैं, गरीब आदिवासी बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में।

-विलेज स्कवायर, एक दिन की बात है, फील्ड में विजिट के दौरान एक महिला को लाठी के सहारे कंधे पर थैला लटकाये कहीं जाते देखा। उत्सुकतावश उनसे बात करने का मन किया। फिर देखा तो उन्हें बच्चों ने ”मैडम, मैडम” बोलते हुए घेर लिया। उन्हें ऊंचे स्थान पर बने एक मकान पर चढ़ने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी| फिर उन्होंने ऊपर बंधी घंटी बजायी । सभी बच्चे एक साथ लाईन...

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लॉकडाउन का असर मध्यप्रदेश के नवजात बच्चों पर भी, संस्थागत प्रसव में कमी

-डाउन टू अर्थ, मध्यप्रदेश के रीवा जिले के अंसरा गांव में गर्भवती महिला शिवजानकी (26) अपना प्रसव अस्पताल में कराना चाह रही थी। प्रसव पीड़ा से पहले एंबुलेंस बुलाने के लिए उनके पति मिथिलेश कोल ने कई फोन किए, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। थक-हारकर शिवजानकी का प्रसव घर में ही कराने का फैसला हुआ। 21 मई को शिवजानकी ने प्रियांशी को जन्म दिया। कोविड-19 महामारी से लड़ाई के लिए लगे लॉकडाउन...

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