-आउटलुक, “हिंदुत्ववादी शक्तियां इतिहास को विचारधारा के अनुसार बदलने के लिए राजसत्ता का इस्तेमाल करती हैं” पिछली शताब्दी के शुरुआती वर्षों से ही हिंदू सांप्रदायिक शक्तियां भारत के अतीत को अपने चश्मे से देखकर इतिहास को अपनी विचारधारा के अनुसार बदलने की कोशिश करती रही हैं। पुरुषोत्तम नागेश ओक ने पांच दशकों से भी अधिक समय तक इस अभियान का नेतृत्व किया और कई पुस्तकें लिखीं। 1964 में ‘भारतीय इतिहास पुनर्लेखन संस्थान’...
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प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर किसानों से लूट, उतना पैसा दिया नहीं जितना ले लिया
-न्यूजक्लिक, भारत को किसानों का देश कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में 13 जनवरी 2016 से एक नई योजना ''प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)'' के नाम पर शुरू की थी. इसे उन्होंने सभी किसानों के लिए बाध्यकारी भी बनाया। अगर इस योजना की पृष्ठभूमि पर गौर करें, तो साफ समझ में आता है, कि निजी बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य था। प्रधानमंत्री ने...
More »नरेन्द्र मोदी का विरोध लंदन में, "मोदी इस्तीफा दो" का बैनर लटकाकर मांगा मोदी का इस्तीफा
-कारवां, 15 अगस्त की सुबह ब्रिटेन के प्रवासी भारतीय के एक दल ने लंदन के वेस्टमिंस्टर ब्रिज में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस्तीफा की मांग वाला बैनर लटका कर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भारतीय उच्चायोग के बाहर मोमबत्तियां जलाकर मोदी शासन के पीड़ितों को याद किया. कार्यक्रम के आयोजकों में से एक दक्षिण एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप के मुक्ति शाह ने इस कार्रवाई के बारे में बताया कि “भारत अपना 75वां...
More »क्या श्रमिकों का फैक्ट्रियों से खेतों में बड़ी संख्या में पलायन ‘विकास’ की गाड़ी का उल्टी दिशा में जाना है
-द वायर, 2018-19 में कुल रोजगार में कृषि की हिस्सेदारी 42.5 फीसदी से 2019-20 में नाटकीय ढंग से बढ़कर 45.6 फीसदी हो गई. कुल रोजगार में कृषि की भागीदारी में यह इजाफा भारतीय अर्थव्यवस्था के एक चिंताजनक पहलू को दिखाता है. यह बढ़ोतरी उद्योग या सेवा क्षेत्र से कृषि में श्रमिकों की एक असामान्य बड़ी गतिशीलता की संकेतक हो सकती है. वास्तविक रोजगार की स्थिति के लिए भिन्न-भिन्न मापकों- काफी सख्त से ज्यादा उदार...
More »गुजरात: मृत्यु रजिस्टर का डेटा बताता है कि कोविड मौत का आधिकारिक आंकड़ा 27 गुना कम है
-द वायर, गुजरात के अमरेली कस्बे के दो श्मशान घाटों में से एक कैलाश मुक्ति धाम में चार भट्टियां ख़राब होने की अलग-अलग स्थिति में हैं. शवों को रखने वाली लोहे की ग्रिल बिना रुके जलती हुई चिताओं के चलते पिघल चुकी है. किसान मगनभाई श्मशान घाट पर काम करने वाले एक वालंटियर हैं, जो अप्रैल और मई 2021 के उन दिनों, जब कोविड-19 ने शहर को तबाह कर दिया था, को...
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