-डाउन टू अर्थ, हर साल सड़क पर दौड़ रहे वाहनों से उत्सर्जित होने वाला करीब 140,000 टन माइक्रोप्लास्टिक्स हवा के जरिए समुद्रों तक पहुंच जाता है। जोकि इकोसिस्टम और मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। यह जानकारी कल (14 जुलाई 2020) प्रकाशित एक नए शोध से सामने आई है। जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित हुआ है। इस शोध में यह जानने की कोशिश की गई है कि किस...
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डब्लूटीओ के बहाने किसानों को झटका
-आउटलुक, “सरकार के कुछ बड़े फैसलों में किसानों के हितों की बलि चढ़ाकर उद्योग को संरक्षण दिया गया” हाल ही में सरकार ने कुछ बड़े फैसले लिये हैं लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इन फैसलों में जहां किसानों के हितों की बलि चढ़ाई गई है वहीं उद्योग को संरक्षण दिया गया है। कोविड-19 महामारी के चलते लागू लॉकडाउन में सबसे अधिक नुकसान दूध किसानों और मक्का किसानों का हुआ है लेकिन...
More »बदलती विश्व व्यवस्था पर पुतिन का आलेख
-न्यूजलॉन्ड्री, द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ीवाद के विरुद्ध निर्णायक जीत की 75वीं वर्षगाँठ पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उस महायुद्ध, उसके बाद की दुनिया और वर्तमान वैश्विक स्थिति पर एक विस्तृत लेख लिखा है. उन्होंने बताया है कि क्यों हर साल 9 मई का दिन रूस के लिए सबसे बड़ा दिन होता है और उस विश्व युद्ध से आज हम क्या सीख सकते हैं. पश्चिमी देशों में इस लेख के...
More »हम कोविड-19 के नए और ख़तरनाक चरण में हैं: डब्ल्यूएचओ प्रमुख
-द वायर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी का प्रसार तेजी से हो रहा है और गुरुवार एक ही दिन में 1,50,000 मामले सामने आए जो अब तक किसी एक ही दिन में दर्ज सर्वाधिक संख्या है. डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस एडेहनम ग्रेब्रेयेसस ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नए मामलों में से लगभग आधे उत्तर और दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप से हैं. दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया...
More »टूटी हुई खाद्य प्रणाली और किसानों के लिए फ्री मार्केट का औचित्य?
-गांव कनेक्शन, "1980 के दशक में किसान प्रत्येक डॉलर में से 37 सेंट घर ले जाते थे। वहीं आज उन्हें हर डॉलर पर 15 सेंट से कम मिलते हैं," यह बात ओपन मार्केट इंस्टीट्यूट के निदेशक ऑस्टिन फ्रेरिक ने कंजर्वेटिव अमेरिकन में लिखी है। उन्होंने इस तथ्य के जरिये इशारा किया कि पिछले कुछ दशक में किसानों की आमदनी घटने की प्रमुख वजह चुनिंदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती आर्थिक ताकत है।...
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