भाजपा एक लंबी यात्रा और उठापटक के बाद आज जहां पहुंची है, और जिस तरह की राजनीति कर रही है उसे समझे बिना हम दिल्ली के ताजा नतीजों की ठीक से व्याख्या नहीं कर पाएंगे. 1995-96 का दौर था जब भाजपा अटल-आडवाणी की हुआ करती थी. उस दौर में लालकृष्ण आडवाणी ने ऐलानिया कहा था कि आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स यानी विचारधारा वाली राजनीति की एक सीमा होती है. राजनीतिक विचारधारा पर...
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मिड डे मीलः योगीराज में जानलेवा लापरवाही
- बीबीसी हिंदी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को मिलने वाले भोजन यानी मिड डे मील में ख़राब भोजन मिलना, भोजन में मरे चूहे या फिर छिपकली का मिलना आम बात सी हो गई है, वहीं लापरवाही इस क़दर बढ़ती जा रही है कि खाने के बर्तन में तीन साल की बच्ची गिर गई और खाना बनाने वाले को पता ही नहीं चला. उत्तर प्रदेश में मिर्ज़ापुर ज़िले के रामपुर अतरी गांव में...
More »डेढ़ सौ बरस के गांधी का नवीन वैभव
गए साल अक्टूबर की 20 तारीख़ को कानपुर में एक गोष्ठी से गुज़रना हुआ था. विचारशीलता और बौद्धिक हस्तक्षेप की पत्रिका ‘अकार’ के मार्फ़त आयोजित इस गोष्ठी का विषय ‘डेढ़ सौ बरस के गांधी’ था. इस गोष्ठी के दरमियान लिए गए नोट्स इन पंक्तियों के लेखक की डायरी में लंबे समय तक दबे रहे. कानपुर से लौटकर इन नोट्स पर लौटना न हुआ, लेकिन अब हो रहा है—पर्याप्त देर से ही...
More »बजट से किसान नाराज, नहीं दिखता संकट से निकलने का कोई रास्ता
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपना दूसरा बजट 2020-21 पेश करते समय यह ऐलान किया कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है लेकिन किसानों का कहना है कि इस बजट में हमारे संकट का कोई समाधान नहीं है। वित्त मंत्री ने आम बजट में किसानों की भलाई के लिए वादे तो बहुत किए हैं, लेकिन इसके मुकाबले आवंटन किया केवल 2.83 लाख करोड़...
More »लक्ष्य से काफी पीछे रह गए हम
-हिन्दुस्तान पिछले साल दो बजट पेश हुए थे। एक अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया गया था, उसके बाद देश में लोकसभा चुनाव हुए और जुलाई में एक बार फिर मोदी सरकार ने अपना बजट पेश किया। दोनों बजट के बीच छह महीने का अंतर था, पर इन छह महीनों में ही आंकड़ों में बदलाव दिख गया। सरकार की आय और खर्च के बीच एक लाख, 80 हजार करोड़ रुपये का...
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