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न्यूज क्लिपिंग्स् | लक्ष्य से काफी पीछे रह गए हम

लक्ष्य से काफी पीछे रह गए हम

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published Published on Jan 31, 2020   modified Modified on Jan 31, 2020
-हिन्दुस्तान
 
पिछले साल दो बजट पेश हुए थे। एक अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया गया था, उसके बाद देश में लोकसभा चुनाव हुए और जुलाई में एक बार फिर मोदी सरकार ने अपना बजट पेश किया। दोनों बजट के बीच छह महीने का अंतर था, पर इन छह महीनों में ही आंकड़ों में बदलाव दिख गया। सरकार की आय और खर्च के बीच एक लाख, 80 हजार करोड़ रुपये का अंतर आ गया। इतने कम समय में बजट में आए इस बड़े अंतर को सरकार ने ही अपने आंकड़ों से जाहिर कर दिया। अंतरिम बजट में आय और खर्च के जो आंकड़े दिए गए थे, वे सही थे या पूर्ण बजट वाले आंकड़े सही थे? यह अपने आप में सोचने वाली बात थी कि आंकड़ों में इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे हुई? पूरा बजट पेश होने के एक महीने बाद ही हमने यह भी देखा कि केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से जो अतिरिक्त धन प्राप्त किया, वह भी लगभग इतना ही था। केंद्र सरकार के पास खर्च के लिए पैसे कम पड़ रहे थे, तो रिजर्व बैंक ने 1.76 लाख करोड़ रुपये दिए थे।

पिछले बजट से खुद सरकार को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन आज का सच यही है कि हम आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। दुनिया की बड़ी आर्थिक संस्थाएं भी इस ओर संकेत कर चुकी हैं। देश के बड़े आर्थिक विशेषज्ञ भी बोल रहे हैं कि हम आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं। पिछले साल के अपने बजट के जरिए केंद्र सरकार ने जो सोचा था कि अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा, वह नहीं आया। सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी के जिस रफ्तार से बढ़ने की आशा की गई थी, वह पूरी नहीं हुई। जहां हम एक ओर, जीडीपी के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सके, वहीं दूसरी ओर, अब मुद्रास्फीति भी बढ़ने लगी है। पिछले बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा मदद नहीं मिली है, खुद सरकारी आंकड़े इसके गवाह हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जीडीपी विकास दर 4.5 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई है, लेकिन इस आंकड़े की विश्वसनीयता पर सवाल हैं, अर्थव्यवस्था के अच्छे जानकार भी इस पर उंगली उठा रहे हैं। पिछली सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने एक अध्ययन-पत्र तैयार किया था, जिसमें उन्होंने बताया कि सरकार जीडीपी विकास दर को ढाई फीसदी बढ़ाकर बता रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि हमारी अर्थव्यवस्था दो प्रतिशत की विकास दर से बढ़ रही है। एक अन्य अर्थशास्त्री अरुण कुमार का कहना है कि जीडीपी विकास दर इतनी भी नहीं है। असंगठित क्षेत्र, जिसमें कृषि भी शामिल है, की विकास दर आधा फीसदी के करीब है। कुल मिलाकर, अनेक आर्थिक विशेषज्ञ बता रहे हैं कि विकास दर के आंकड़े बढ़ाकर दिखाए गए हैं।

नोटबंदी और फिर जीएसटी जैसे बड़े कदमों का अर्थव्यवस्था पर जो नकारात्मक असर हुआ है, उसे पिछला बजट पलट नहीं पाया है। इन बड़े कदमों का असर आज भी अर्थव्यवस्था पर दिख रहा है। आज भारत में उत्पादन और मांग में जो फर्क आया है, वह चकित करता है। भारत के इतिहास में पहली बार कंपनियों ने बिजली उत्पादन को कम कर दिया है, डीजल का उपभोग भी कम हुआ है। ऐसा कब होता है? विकास को गति देने के लिए बिजली और डीजल की खपत तो बढ़नी चाहिए थी, लेकिन घट कैसे रही है? पिछले दिनों कॉरपोरेट आयकर में जो छूट दी गई है, उससे भी घाटा बढ़ेगा। आज आपके पास पैसा नहीं है। सरकार के पास भी पैसा नहीं है। संपत्ति बेचने की तैयारी दिखती है। हालांकि विनिवेश की बात पिछले बजट में भी थी, पर बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी। अब एअर इंडिया व भारत पेट्रोलियम बिकने वाला है।
 
पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

परंजॉय गुहा ठाकुरता,https://www.livehindustan.com/blog/story-hindustan-opinion-column-31st-january-2020-2993421.html


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