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कोरोना संकट : निजी अस्पतालों के लिए 25 प्रतिशत टीकों के आवंटन के फ़ैसले को लेकर उठ रहे हैं सवाल

-न्यूजक्लिक, केंद्र की मोदी सरकार ने आखिरकार विपक्षी दल , समाजिक संगठनों और सुप्रीम कोर्ट की फ़टकार के बाद सभी को मुफ़्त टीके का एलान तो कर दिया, लेकिन सरकार ने इसमें भी निजी अस्पतालों के लिए 25 प्रतिशत टीके आवंटित करने का फैसला किया है।  हालाँकि इस बार सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए वर्तमान में उपलब्ध टीकों का अधिकतम मूल्य तय कर दिया है। लेकिन विपक्ष सवाल कर रहा...

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देश के नाम संबोधन में कई तथ्य छिपा गए प्रधानमंत्री, राज्यों को दोष देने में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की बात दबा गए

-नवजीवन,  देश में कोरोना की आमद के बाद बीते 15 महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (सोमवार, 7 जून को) एक बार फिर देश को संबोधित किया। इस बार उनका पूरा भाषण कोरोना महामारी और इससे लड़ने के लिए वैक्सीन पर केंद्रित था। उन्होंने ऐलान किया कि आने वाले दिनों में वैक्सीनेशन का सारा काम केंद्र सरकार अपने हाथ में लेगी और सभी राज्यों को वैक्सीन मुफ्त में मुहैया कराई...

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दवाओं के प्रति क्यों बढ़ रही है बैक्टीरिया, वायरस जैसे रोगजनक सूक्ष्मजीवों की प्रतिरोक्षक क्षमता

-गांव कनेक्शन, कोविड महामारी के रूप में समूचा विश्व भीषण स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। इस बीच कई अन्य ऐसी बीमारियां उभरी हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम बढ़ाए हुए हैं। एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) स्वास्थ्य से जुड़ी एक ऐसी ही चुनौती है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शीर्ष 10 स्वास्थ्य जोखिमों में से एक माना है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2050 तक हर साल...

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आलेख : नृशंस साम्राज्य

-आउटलुक, “ऐसा प्रचंड संकट आजादी के बाद से नहीं आया था, अब तो मोदी समर्थक भी मानने लगे हैं कि महामारी में सरकार का रवैया सारे दायित्व से हाथ झाड़ लेने का रहा है” इस 9 मई को पिंजरा तोड़ आंदोलन की अगुआ छात्र एक्टिविस्ट नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल कोविड महामारी से जंग हार गए। वे दुनिया से विदा होने के पहले अपनी बेटी से मिल या बात नहीं कर...

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मौत और पत्रकारिता: भारत में कोविड से मौत के आंकड़े कम बताए गए, क्या बंटवारे से दोगुनी मौतें हुईं

-द प्रिंट, इस सप्ताह, कॉलम का विषय चुनने के लिए मैंने गूगल पर ‘मौत और पत्रकारिता ’ (डेथ एंड जर्नलिज्म) शीर्षक से सर्च किया. मजे की बात यह है कि इसमें शुरू की 20 में से 19 इंट्री पत्रकारिता ‘की’ मौत के बारे में थीं. मैं अपने स्वार्थवश यह भी बता दूं कि इनमें से दो इंट्री यह कह रही थी कि यह कहना गलत है कि पत्रकारिता की मौत हो चुकी...

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