विगत कुछ वर्षों से विवादास्पद व खतरनाक किस्म के वायरस से होनेवाली बीमारियों के महामारी बनने की चर्चा ज्यादा हो रही है. कहा जा रहा है कि विगत 30 वर्षों में 30 से ज्यादा नये-पुराने वायरस घातक बन कर मानव दुनिया के लिए खतरा बन चुके हैं. इन दिनों ‘जीका' वायरस चर्चा में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैसे तो इस वायरस को लेकर इमरजेंसी एलर्ट जारी किया था,...
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बीपीएल से नाम कटा तो कई योजनाओं से हो जाएंगे वंचित
शत्रुघन केशरवानी, सागर। गरीब बनकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले संपन्न् लोगों के नाम अब जल्द से जल्द बीपीएल की सूची से कटने वाले हैं। बीपीएल सूची से नाम कटने के अलावा ऐसे फर्जी पात्र लोगों को सरकार की दूसरी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल सकेगा, जिससे फर्जी बीपीएल कार्डधारियों में हड़कंप मच गया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा सागर जिले के लोग सरकारी राशन दुकानों से सस्ता...
More »जल्द मिले सस्ती औषधि की सौगात - डॉ एके अरुण
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया कि ऐसा कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा जिसके तहत चिकित्सकों को उपचार के लिए महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह जेनेरिक दवाएं (जो मूल दवा है और सस्ती होती है) ही लिखनी होंगी। उल्लेखनीय है कि बेहद महंगी दरों पर मिलने वाली ब्रांडेड दवाएं मरीजों और उनके तीमारदारों की जेब पर इतनी भारी पड़ती हैं कि अधिकांश तो पर्याप्त मात्रा में दवाएं...
More »शहरी गरीबों को आवास देने का काम मप्र में बेहद सुस्त
भोपाल। शहरी गरीबों और झुग्गी बस्तियों में रहने वालों को मकान देने की केंद्र सरकार की विभिन्न् योजनाओं का काम मध्यप्रदेश में बेहद सुस्त गति से चल रहा है। आलम यह है कि तीन योजनाओं में पिछले तीन साल में प्रदेश में सिर्फ 18 हजार मकान बने हैं, जबकि अन्य राज्यों में यह संख्या पचास हजार तक पहुंच चुकी है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2022 तक पूरे देश...
More »उज्जवला की गैस से होटल में बन रही चाय, गरीब की रसोई में अब भी धुआं
हरिओम गौड़/ अजीत तिवारी। भोपाल/श्योपुर। गरीबों की रसोई को धुआंमुक्त करने के मकसद से शुरू हुई उज्जवला योजना गरीब की रसोई नहीं बल्कि होटलों के किचन को उज्जवल कर रही है। बड़ी संख्या में गरीबों ने योजना के तहत मुफ्त में मिले गैस सिलेंडर चाय-नाश्ते की होटल वालों को बेच दिए हैं जो महंगे कर्मशियल सिलेंडर की जगह इन सिलेंडर का इस्तेमाल कर अपने पैसे बचा रहे हैं। हालात यह हैं...
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