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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशवासियों के नाम लिखी चिट्ठी पढ़िए

आज से एक साल पहले भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ा. देश में दशकों बाद पूर्ण बहुमत की किसी सरकार को लगातार दूसरी बार जनता ने ज़िम्मेदारी सौंपी थी. इस अध्याय को रचने में आपकी बहुत बड़ी भूमिका रही है. ऐसे में आज का यह दिन मेरे लिए, अवसर है आपको नमन करने का, भारत और भारतीय लोकतन्त्र के प्रति आपकी इस निष्ठा को प्रणाम करने...

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‘मन की बात’ करने वाले ‘मनरेगा’ की बात क्यों करने लगे?

-न्यूजलॉन्ड्री, बात मनरेगा के बहाने सामाजिक सुरक्षा की, आखिर क्यों पूरी दुनिया में धुर पूंजीवाद की वकालत करने वाले शासक भी संकट के समय साम्यवादी हो जाते हैं. 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज के तहत एक बड़ा हिस्सा (40,000 करोड़ रुपए) वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने मनरेगा योजना में खर्च करने की घोषणा की है. यह हिस्सा केद्रीय बजट में घोषित मनरेगा फंड के अतिरिक्त होगा. खुद को बड़े गर्व से सोशली...

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बीजों का त्यौहार अक्ति और इससे जुड़ी जैविक खेती की अनोखी पहल -बाबा मायाराम

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के एक छोटा सा गांव कुहरी। गांव में पारंपरिक त्यौहार अक्ति मनाया गया, जिसके साथ जैविक खेती के नए आयाम जुड़े हैं। यहां की महिला किसानों ने इस मौके पर ठाकुरदेव की पूजा अर्चना की और अच्छी नई फसल की कामना की। पूजा-अर्चना के साथ ही इस त्यौहार के अवसर पर महिलाओं ने जैविक खेती करने का भी संकल्प लिया।  कुहरी गांव, बांसकुडहा पंचायत के अंतर्गत आता है। यह कोडार बांध के पास है,...

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क्या दिहाड़ी मज़दूरों को बायोमिट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से धोखा दिया गया है?

-न्यूजक्लिक, पिछले कुछ हफ़्तों में, दैनिक वेतन भोगियों की स्थिति विशेष रूप से निराशाजनक रही है। रोड स्कॉलर्ज़ ने छह राज्यों (छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तर प्रदेश) के ग्रामीण इलाकों में 100 से अधिक लोगों से टेलीफोन के माध्यम से दो चरणों (26-31 मार्च और 4-7 अप्रैल) का सर्वेक्षण किया था। इस सर्वेक्षण में पता चला कि ज्यादातर लोग इस बात से वाकिफ हैं कि कोविड-19 के...

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कोविड-19: महज एक तिहाई प्रवासी मजदूरों को ही मिल रहा राहत घोषणाओं का फायदा

-डाउन टू अर्थ, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी) के आकलन के मुताबिक, कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर जो राहत उपाय किए गए हैं, उसका लाभ देश के प्रवासी कामगारों के महज एक तिहाई हिस्से तक ही पहुंच पाया है। आईएचडी के आकलन के अनुसार अल्पकाल के लिए काम की तलाश में बार-बार आने-जाने वाले करीब 5 करोड़ प्रवासी सरकार की लाभुकों की शिनाख्त प्रक्रिया से बाहर हैं। इंस्टीट्यूट ने ये अनुमानित आंकड़े 2...

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