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जानें कैसे हवा को ठंडा करने की तकनीकें पृथ्वी को गर्म कर रही हैं?

-इंडियास्पेंड, क्या आप जानते हैं कि एयर कंडीशनर जैसी रेफ्रिजेरेशन और कूलिंग तकनीकें 100 करोड़ टन से अधिक कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन (CO2) करती हैं? ये आंकड़े जापान के उत्सर्जन के बराबर हैं, जो 2018 में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जक देश था। भारत ने ऊर्जा-बचत और जलवायु-अनुकूल कूलिंग तकनीकों के लिए एक इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) तैयार किया गया था, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके लॉन्च होने के दो...

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क्यों चंपारण और खेड़ा के किसान आंदोलनों से बड़ा है मौजूदा किसान आंदोलन

-रूरल वॉइस, आज यानी 11 दिसंबर को गुरू ग्रंथ साहिब के पाठ और हवन के बाद किसान दिल्ली की सीमाओं पर लगे मोर्चों से अपने घरों को वापसी करेंगे। 378 दिन चला किसान आंदोलन देश और दुनिया के इतिहास में एक ऐसा मुकाम बना चुका है जिसके दोहराये जाने की कल्पना अभी संभव नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में अध्यादेशों के जरिये लाये गये तीन नये कृषि कानूनों के...

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इस साल दुनिया भर में रिकॉर्ड संख्या में पत्रकारों को जेल में डाला गया या हत्या हुई: रिपोर्ट

-द वायर, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक एक दिसंबर 2021 तक दुनिया भर में 293 पत्रकार अपने काम के लिए विभिन्न देशों की जेलों में बंद थे. यह लगातार छठा साल है जब 250 से अधिक पत्रकारों के जेल में बंद रहे हैं. समिति की रिपोर्ट, जिसे इसके संपादकीय निदेशक अर्लीन गेट्ज़ ने लिखा है, में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस दौरान कम से कम...

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यूपी: सबसे ज़्यादा UAPA के तहत गिरफ़्तारियां, क्या विरोधी आवाज़ों को दबाने की कोशिश है?

-सोनिया यादव, "संयुक्त प्रवर समिति को एक गधा सौंपा गया था और समिति का काम था उसे घोड़ा बनाना लेकिन परिणाम यह निकला है कि वह खच्चर बन गया है। अब गृह मंत्रालय का भार ढोने के लिए तो खच्चर ठीक है लेकिन अगर गृहमंत्री यह समझते हैं कि वह खच्चर पर बैठकर राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की लड़ाई लड़ लेंगे, तो उनसे मेरा विनम्र मतभेद है।" ये बातें साल 1967...

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कृषि कानूनों का रद्द होना तो मलाई है, लेकिन खुरचन है इस आंदोलन की दूरगामी उपलब्धि

-द प्रिंट, ‘तो, आखिर जहां से चले थे फिर से हम वहीं पहुंच गये, है ना ? आखिर हमारा हासिल क्या रहा ?’ तीन कृषि कानूनों के खात्मे पर मनाये जा रहे जश्न से कुछ-कुछ खिन्न नजर आ रहे एक युवा कार्यकर्ता ने किसी तीर की तरह सनसनाता और चुभता यह सवाल पूछा. उसका तर्क बड़ा सीधा सा था : किसान इन तीन कृषि कानूनों के आने के पहले से ही...

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