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नियति है मौत!- (रिपोर्ट निराला, तहलका)

बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के दो-तीन जिलों के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार फिर जून का महीना जानलेवा साबित हुआ. रहस्यमयी बीमारी की चपेट में आकर 60 से अधिक बच्चे काल के गाल में समा गए. इस बीमारी और बीमारी के बहाने प्रभावित इलाके के साथ स्वास्थ्य महकमे की पड़ताल करती निराला की रिपोर्ट आंखों देखी-कानों सुनी दोपहर करीब साढ़े तीन बजे का समय. मुजफ्फरपुर शहर का केजरीवाल मातृ...

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स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी को डेंगू !

जमशेदपुर, शिसं : वर्ष 2010 में मौत का तांडव करने वाली घातक बीमारी डेंगू ने शहर में एक बार फिर अपना पांव पसारने शुरू कर दिये हैं। जिले में इसका दूसरा संदिग्ध मामला सामने आया है। सिविल सर्जन कार्यालय में सेवा देने वाले संतोष नाम के कर्मचारी के डेंगू से पीड़ित होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। शरीर में तेजी से घटते प्लेटलेट्स को देखते हुए मरीज को गंभीर...

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बीपीएल के हक पर सौदागरों की नजर

देहरादून, जागरण संवाददाता: बीपीएल के हक पर सौदागरों की गिद्धदृष्टि गढ़ी हुई है। कोरोनेशन अस्पताल में सामने आए इंजेक्शन बेचे जाने के मामले ने स्वास्थ्य महकमे की साख को तो बट्टा लगा ही डाला है। साथ ही कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं इस पेशे से जुड़े उन तमाम लोगों पर, जिन्हें अस्पताल में भर्ती मरीज भगवान से कम नहीं मानता। और यह पहली दफा नहीं जब बीपीएल के...

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छत्तीसगढ़ में एसपीओ और सुप्रीम कोर्ट - कनक तिवारी

जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त होते बी. सुदर्शन रेड्डी और सुरेन्दर सिंह निज्जर की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए छत्तीसगढ़ शासन के उन आदेशों को निरस्त कर दिया है, जिनके अनुसार बस्तर में नक्सलियों से निपटने के लिए विशेष पुलिस कर्मी (एसपीओ) को भरती कर मजबूर, गरीब और लगभग अशिक्षित आदिवासी युवकों के हाथों में कथित आत्मसुरक्षा के नाम पर बंदूकें थमा दी गई थीं....

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जन्म से बंधी सामाजिक बेड़ियां : हर्ष मंदर

लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...

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