नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। कदम रुके थे, पैर में बंधा पत्थर तो जस का तस था। महंगाई गई कहां थी? अर्थव्यवस्था मंदी से निढाल होकर बैठ गई थी इसलिए महंगाई का बोझ बिसर गया था। कदम फिर बढ़े हैं तो महंगाई टांग खींचने लगी है। मुद्रास्फीति का प्रेत नई ताकत जुटा कर लौट आया है। मंदी के छोटे से ब्रेक के बीच महंगाई और जिद्दी, जटिल व व्यापक हो...
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गांव के हर परिवार का होगा बैंक खाता
पटना [जागरण ब्यूरो]। वित्तीय समावेश के तहत बिहार में सन 2012 तक दो हजार की आबादी वाले गांवों के हर परिवार तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाई जाएगी। हर परिवार का बैंक खाता होगा। खाता संचालन के लिए 2500 रुपये के ओवर ड्राफ्ट की सुविधा मिलेगी। साथ में 10 हजार रुपये का जनरल क्रेडिट कार्ड दिया जाएगा, जिससे विवाह, बीमारी या खास जरूरत के समय लोग उसका लाभ उठा सकें। गुरुवार...
More »नए रोजगार गढ़ता भारत
नई दिल्ली [जयंतीलाल भंडारी]। इन दिनों जो रोजगार सर्वेक्षण प्रकाशित हो रहे है, वे बता रहे है कि देश के प्रोफेशनल और प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार अवसर बढ़ रहे है। युवा पेशेवरों के लिहाज से यह एक अच्छी खबर है कि भारतीय जॉब मार्केट एक बार फिर से आत्मविश्वास से भरपूर नजर आ रहा है। इंटरनेशनल रिक्रूटमेंट फर्म एटल के जून 2010 में प्रकाशित किए गए नवीनतम सर्वे में यह...
More »हिमफेड को ढूंढ़े नहीं मिल रहे खाद्य भंडारण बनाने के इच्छुक
शिमला। हिमफेड को प्रदेश में खाद्य भंडारण बनाने के इच्छुक अभ्यर्थी ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। राज्य में गोदाम बनाने के लिए हिमफेड ने दूसरी बार टेंडर भी आमंत्रित किए हैं, लेकिन अभी तक किसी अभ्यर्थी ने रुचि नहीं दिखाई है। प्रदेश में हिमफेड को 2009 में स्टेट वेयर हाउसिंग कारपोरेशन का दर्जा मिला हुआ है। हिमफेड प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम के मानकों के अनुसार खाद्य गोदाम बनाएगी। गोदाम...
More »दालों की खेती पर नहीं, आयात पर बढ़ाया खर्च
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। दालों के आयात के लिए 5000 करोड़ रुपये और दलहन खेती के लिए औसतन सालाना केवल 500 करोड़ रुपये। समझा जा सकता है कि दालों की पैदावार क्यों नहीं बढ़ रही है। पिछले चार सालों में सरकार ने जितना धन दलहन की खेती के प्रोत्साहन के लिए दिया है, उससे दोगुना हर साल दालों के आयात पर खर्च होता है। जब खेती बेहतर करने में...
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