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खराब मानसून में छिपे डर - अनिल पद्मनाभन

इस साल मानसून का जो हाल है, वह बहुत डराने वाला है। इससे गुजरे छह हफ्ते से जो अनिश्चितता पैदा हुई है, वह एक बुरी आशंका की ओर इशारा कर रही है। कुदरत के संकेतों को समझते हुए कुछ यह दावा कर सकते हैं कि भारतीय मौसम विभाग की औसत मानसून की भविष्यवाणी सही साबित होगी। लेकिन क्या यही सच है? अभी तक मानसून का जो हाल है, वह...

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एक खबर जिसकी हत्या हुई - चंदन श्रीवास्तव

बात आत्महत्या से संबंधित खबरों की हो, तो अपने देश के अखबार आत्महत्या का सामाजिक आधार खोजते हुए शादी-ब्याह तक पहुंचते हैं और यह बताते हैं कि भारत में आत्महत्या कुंवारों से ज्यादा शादीशुदा लोग कर रहे हैं. वर्षो से यही चलन जारी है. इस साल भी एक अखबार ने सुर्खी लगायी है कि ‘शादीशुदा लोगों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति ज्यादा!' और पाठकों को ज्ञान दिया है कि ‘देश...

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कमजोर मानसून की कीमत चुकाती खेती- सुरुचि भड़वाल

अपने देश में मानसून की शुरुआत पश्चिमी और उत्तरी समुद्री तट से जून के महीने में होती है, फिर बारिश धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचती है। यह पूरी प्रक्रिया चार महीनों की होती है, और इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में 80 फीसदी से अधिक बारिश होती है। लेकिन चूंकि सभी जगह कम दबाव का क्षेत्र एक समान नहीं बनता, इसलिए सब जगह बारिश भी एक जैसी नहीं...

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बबुआ से बड़ा झुनझुना- विनोद कुमार

जनसत्ता 21 जुलाई, 2014 : आजादी के बाद हमने वयस्क मताधिकार पर आधारित भारतीय गणराज्य की स्थापना की। मूल अवधारणा यह रही कि हम एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जिसके केंद्र में रहेगा देश का नागरिक। विधायिका उसके हित में कानून बनाएगी, कार्यपालिका उन कानूनों के दायरे में नागरिकों को एक विधि-सम्मत सुशासन मुहैया कराएगी, सेना बाह्य दुश्मनों से देश की सुरक्षा की गारंटी करेगी, पुलिस नागरिकों के जान-माल की रक्षा करेगी।...

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का वर्षा जब कृषि सुखाने!- प्रकाश कुमार रे

नयी दिल्ली : मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अब तक मॉनसून की वर्षा में दीर्घकालिक औसत की तुलना में 43% कमी रही है. उधर, मौसम का आकलन करनेवाली प्राइवेट संस्था स्काइमेट ने पिछले दिनों आशंका जाहिर की थी कि देश में सूखे की आशंका 60% तक बढ़ गयी है. संस्था ने अप्रैल में इस आशंका को 25} तक रखा था. ऐसे में देश के सामने...

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