पिछले कई सालों से एक जो नारा सबसे ज्यादा प्रचारित रहा है वह है ‘सबका साथ सबका विकास’! चूंकि खुद भाजपा सरकार की ओर से यह नारा सबसे ज्यादा प्रचारित किया गया है, इसलिए कायदे से अपेक्षा यह थी कि देश के सभी तबकों के लोगों को विकास के तमाम अवसरों में बराबर की सहभागिता मिलती और इस तरह विकास ज्यादा समावेशी होता। लेकिन यह बेहद निराशाजनक तस्वीर है कि...
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लाख टके का सवाल: क्या 2020 में भी किसान जलाएंगे पराली?
पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर ने 23 सितंबर, 2019 से 26 नवंबर, 2019 के बीच पराली जलाने के आंकड़े जारी किए हैं। इन आकंड़ों के अनुसार 2019 में पराली जलाने के कुल 52,942 मामलों को दर्ज किया, जो कि 2018 के 50,590 मामलों से 2352 बार अधिक है। इस दौरान पराली जलाने के मामले में 23,277 मामलों में किसानों पर जुर्माना लगाया गया, वहीं 1,737 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई।...
More »कपास की सरकारी खरीद 261 फीसदी बढ़ी लेकिन भाव फिर भी समर्थन मूल्य से नीचे
चालू सीजन में कपास की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी खरीद तो 261.30 फीसदी बढ़कर 38.66 लाख गांठ की हो चुकी है लेकिन उत्पादक मंडियों में कपास के दाम 5,200 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल ही हैं जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए लॉन्ग स्टेपल कपास का समर्थन मूल्य 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी...
More »देश की औरतें जब बोलती हैं तो शहर-शहर शाहीन बाग हो जाते हैं
शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को एक महीने से ज़्यादा वक्त बीच चुका है। इस बीच दिल्ली के पारे का रिकॉर्ड कई बार टूटा, सत्ता का दमनचक्र कई बार आक्रामक हुआ, आंदोलन को भटकाने की कई बार कोशिश की गई, मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, दिल्ली के एक वर्ग को एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून से अधिक परेशानी ट्रैफिक से होने लगी लेकिन शाहीन बाग की औरतें आज भी डटी...
More »असीम सम्भावनाओं का पिटारा ‘घुमन्तू समाज’
अपने सम्पूर्ण जीवन को यायावरी और जुगलबन्दी से जीने वाला 10 फीसदी घुमन्तू समाज आज विडम्बना की स्थिति में हैं। जहाँ एक तरफ उसको अपनी मूल पहचान खोने की चिंता है तो दूसरी ओर आजीविका की मजबूरी ने उसे घेर रखा है। ऊपर से सरकारों के नित- नये नियम कानूनों ने उसका मजाक बना दिया है। घुमन्तू लोग कौन हैं ? यह लोग तो समाज को चलाने वाले ऊंचे दर्जे के लोग...
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