हरियाणा में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इस उम्मीद में उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय की गई है कि इससे पढे़-लिखे लोग ही चुनाव में उतरेंगे और जन-प्रतिनिधि बनेंगे। इस नियम ने सरपंची की चाह रखने वाले कई लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। हर जगह तरह-तरह से इसके तोड़ निकाले जा रहे हैं। इसके चलते समाज में ऐसे बदलाव होते भी दिख रहे हैं,...
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एक अरब मोबाइलों का देश
भारत के लिए नया साल अच्छी खबर लेकर आया है कि देशभर में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर सौ करोड़ तक जा पहुंची है। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले देश के लिए निश्चित रूप से यह अच्छा संकेत है कि मोबाइल फोन की बिक्री के मामले में उसने कई देशों को पीछे छोड़ दिया है। इस मामले में वह सिर्फ चीन से ही पीछे है जहां दुनियाभर का सबसे...
More »एक-समान शिक्षा प्रणाली से होगा बेहतर समाज का निर्माण
बेहतर देश के निर्माण के लिए बेहतर समाज का होना पहली शर्त है. किसी भी देश का सतत विकास तभी मुमकिन है, जब वहां के विभिन्न समाज और समुदायों के बीच सौहार्द, शांति व भाईचारा हो. बीता साल 2015 इस लिहाज से कुछ अच्छी यादों के साथ-साथ कई कड़वी यादें भी छोड़ गया है. हाल के दशकों में तेज आर्थिक विकास के बावजूद हमारे समाज में व्याप्त कुछ...
More »'डेमोक्रेटिक इकोनॉमिक्स' से सुलझेंगी समाजिक समस्याएं-- शिव विश्वनाथन
किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों को कोई संजीदगी से नहीं ले रहा है. मौजूदा सरकारें बायोटेक्नोलाॅजी से खेती का परिदृश्य बदलना चाहती हैं. इस दिशा में काफी चर्चा भी हो रही है, लेकिन इस पूरे सिस्टम को लोकतांत्रिक तरीके से लागू करना होगा, अन्यथा किसानों की दशा को नहीं सुधारा जा सकता. फॉरमल इकोनॉमी का दायरा बढ़े आज देशभर में जिस स्मार्ट सिटी की बात हो रही है, उसमें...
More »इस धुंध को चीरना होगा- शशिशेखर
दिल्ली और उसके आसपास का इलाका इन दिनों प्रदूषण की अभूतपूर्व मार से ग्रस्त है। जिधर नजर डालिए, उधर धुंध की मटमैली चादर तले खांसते, कांपते और कांखते लोग मिल जाएंगे। अपना एक निजी अनुभव आपसे शेयर करता हूं। दीपावली को दोपहर के बाद से मैं जब भी अपने घर का दरवाजा खोलता, तो बेचैन हो उठता। सामने वाले फ्लैट में एक प्यारा शिशु रहता है। अभी उसे अपना पहला जन्मदिन मनाना...
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