पंजाब के बिगड़ते हालात बरसों से सियासी पार्टियों का चुनावी एजेंडा होने के बावजूद हालात बद से बदतर सियासी पार्टियों पर भी लगाए जाते रहे हैं नशीली दवाओं को संरक्षण देने के आरोप रोजगार के नाम पर सरकार ने सिर्फ 1,000 रुपये के मासिक भत्ते का प्रावधान किया है शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी। समूचे देश की भांति पंजाब में भी यही तीन ऐसे अहम मसले हैं जो बरसों पुराने हैं, लेकिन आज के...
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सेज में पांच क्षेत्र के निर्यात पर किया जाएगा फोकस- राजीव कुमार
तैयारी : विदेशी निवेश के लिए जापान, कोरिया सहित कई देशों में रोड-शो सेज के फायदे कुल निर्यात में सेज से होने वाले निर्यात की हिस्सेदारी लगभग 33 फीसदी है 15 लाख लोगों को सेज क्षेत्र की कंपनियों में मिला हुआ है रोजगार रोड-शो के जरिए निवेशकों को सेज की सुविधाओं की दी जाएगी जानकारी विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और वहां की निर्यात क्षमता के भरपूर दोहन के लिए...
More »राजनीतिक दलों के एजेंडे में हाशिये पर गांव- शिकोह अलबदर
हाथ छाप को दिया, फूल (कमल) को दिया, जहां बोला वहां दे दिया, अब तक पांच बार वोट दिया है, कुछछो नहीं मिला. यह कहते हुए पचहत्तर की उम्र पार कर चुकी पार्वती देवी धान उसनने के काम में फिर से लग जाती हैं. पार्वती देवी रांची के ओरमांझी प्रखंड के उलातु गांव की रहने वाली हैं. चुनाव होते हैं. सांसद और विधायक चुने जाते हैं. लेकिन इस गांव की...
More »इस विकास की कीमत- विनोद कुमार
हमारे देश का अभिजात तबका और शहरी मध्यम वर्ग उदारीकरण और नई औद्योगिक नीति का कमोबेश समर्थक है। और उसके पक्ष में दलीलें देता है। इसी तरह दक्षिणपंथी और मध्यवर्ती राजनीतिक दल- चाहे वह कांग्रेस हो, भाजपा हो या बसपा, राजद आदि- नई औद्योगिक नीति के बारे में लगभग मिलते-जुलते विचार रखते हैं। वामपंथी दल उदारीकरण और नई औद्योगिक नीति के बारे में हाल तक थोड़ी भिन्न भाषा का इस्तेमाल...
More »कृषि नीति और नीयत का संकट- अविनाश पांडेय समर
आंकड़ों की नजर से देखा जाये, तो भारतीय कृषि सहज बोध को धता बतानेवाली अजूबे सी दिखती है. कुछ इस तरह कि भारत की विकास दर के दहाई पार कर देश को अगली विश्व शक्ति बनाने के सपने दिखाने के ठीक बाद वैश्विक आर्थिक मंदी की चपेट में आते हुए ध्वस्त हो जाने पर कृषि क्षेत्र में सुधार ने ही संभाला था. और यह भी कि कुल आबादी के करीब 67...
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