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यह नया कितना पुराना- कुमार प्रशांत

जनसत्ता 14 अगस्त, 2012: देश को नए मंत्री मिल गए हैं। देश की गहरी समस्याओं के जनक रहे पुराने लोग नई पोशाकों में आ खड़े हुए हैं। देखते हैं तो उनके हाथों में तलवारें भी वही बाबाआदम के जमाने की हैं- कागजी! सारे देश में सूखा पड़ा है और अभी अचानक बिजली चले जाने का नया रोग भी गहरा अंधेरा बनाने लगा है। इसे अगर एक प्रतीक से जोड़ कर...

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1100 साल पुरानी टूट गई रस्म, दो गोत्रों में फिर शुरू होंगे विवाह

तिगांव.चौरासी पाल की महापंचायत में रविवार को तिगांव के सीनियर सेकंडरी स्कूल में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया कि भविष्य में चंदीला गौत्र से नागर और अधाना गौत्र के विवाह संबंध खोल दिए जाएंगे। इस महापंचायत की अध्यक्षता चौरासी के प्रधान धर्मबीर नागर ने की, जबकि महापंचायत का आयोजन तिगांव विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ...

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लाठी का लोकतंत्र - अनिल चमडिया

जनसत्ता 11 अगस्त, 2012: छत्तीसगढ़ के बीजापुर के तीन गांवों के सत्रह आदिवासियों के केंद्रीय सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस की गोलियों से मारे जाने की घटना पर दिल्ली में आयोजित एक सभा में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जो कुछ कहा वह ऐसी तमाम घटनाओं पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने दावे के साथ कहा कि 28 जून 2012 की रात राजपेटा, सारकीगुड़ा और कोत्तागुड़ा में नक्सलियों के साथ...

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तारणहार तकनीक- बृजेंद्र कुमार की रिपोर्ट

एक उपाय जिसने असंतुलित लिंगानुपात के लिए बदनाम हरियाणा के झज्जर जिले को सुधार की राह पर डाल दिया. बिजेंद्र कुमार की रिपोर्ट.   महिलाओं की बात पर हरियाणा एक विरोधाभास-सा लगता है. अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला कल्पना चावला इसी राज्य की थी, लेकिन बेटी के जन्म से पीछा छुड़ाने वाले भी सबसे ज्यादा इसी राज्य में हैं. महिला और पुरुष की संख्या का अंतर हरियाणा में खतरे की सीमा...

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बात आदर्श विधायिका की- ।।हरिवंश।।

टाइम ’ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर छपे लेख ‘द अंडरएचीवर ’ पर पूरी भारतीय राजनीति में तीखी बहस हुई. पर इसी लेख में एक अत्यंत महत्वपूर्ण टिप्पणी हैं. भारतीय संसद पर. दरअसल, भारतीय राजनीति में संवेदना, चरित्र और सिद्धांत शीर्ष होते, तो बवाल या बवंडर इस अंश पर होना चाहिए था. यह टिप्पणी सब पर है, पक्ष-विपक्ष समेत पूरी राजनीति पर. संसद कितना कामकाज करती है? गुजरे सत्र में सिर्फ...

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