भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाली टीम अन्ना के कुछ सदस्य अब विवादों के घेरे में आने लगे हैं। कहीं उनके अंतर्विरोध उजागर हो रहे हैं, और कहीं उसके सदस्यों पर हमले हो रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल से बातचीत की दैनिक हिन्दुस्तान के प्रवीण प्रभाकर ने। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश: आप पर चप्पल फेंकी गई। प्रशांत भूषण पर घूंसे चले। क्यों...
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प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी
अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...
More »जनमुहिम और जमीनी राजनीति : मृणाल पाण्डे
क्रांतिकारी बदलाव का सूत्रपात कौन करता है, नेता या आंदोलन? यह सवाल कुछ वैसा ही है, जैसे कि यह पूछना कि पहले मुर्गी आई या अंडा? फिर भी महाभारत से उपग्रह संचारित मीडिया के जमाने तक यह यक्ष प्रश्न पूछा जाता रहा है। युधिष्ठिर ने तो यक्ष को यह कहकर कि नेता ही अपने समय को गढ़ता है (राजा कालस्य कारणं) छुट्टी पा ली थी, लेकिन एकछत्र राजाओं का जमाना अब नहीं रहा।...
More »अपनी त्रासदियों से आजादी के इंतजार में आदिवासी : रामचंद्र गुहा
एक साल पहले तकरीबन इन्हीं दिनों में राहुल गांधी ने ओडिशा में कुछ आदिवासियों से कहा था कि वे दिल्ली में उनकी लड़ाई लड़ेंगे। नियमगिरि के डोंगरिया कोंड आदिवासी बिसार दिए गए और अब राहुल का फोकस यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर नोएडा के जाट किसानों व अन्य समूहों की ओर हो गया है। राहुल गांधी का यह व्यवहार समूचे राजनीतिक वर्ग के चरित्र को प्रदर्शित करता...
More »मुद्दा: गरीब की नई परिभाषा
गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
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