-न्यूजलॉन्ड्री, देश में सरकार हर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर रोज करीब 4.8 रुपए खर्च करती है. यह जानकारी नेशनल हेल्थ अकाउंट (एनएचए) द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है. 2017-18 के लिए जारी आंकड़ों के अनुसार सरकार ने इस दौरान प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर करीब 1,753 रुपए खर्च किए हैं, जबकि 2013-14 में यह राशि करीब 1,042 रुपए थी, देखा जाए तो पिछले चार वर्षों में 711 रुपए की बढ़ोतरी हुई...
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इस साल दुनिया भर में रिकॉर्ड संख्या में पत्रकारों को जेल में डाला गया या हत्या हुई: रिपोर्ट
-द वायर, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक एक दिसंबर 2021 तक दुनिया भर में 293 पत्रकार अपने काम के लिए विभिन्न देशों की जेलों में बंद थे. यह लगातार छठा साल है जब 250 से अधिक पत्रकारों के जेल में बंद रहे हैं. समिति की रिपोर्ट, जिसे इसके संपादकीय निदेशक अर्लीन गेट्ज़ ने लिखा है, में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस दौरान कम से कम...
More »दिल्ली के गरीब भूखे और हताश हैं, उनके पेट में भूख की 'आग' जल रही है
-न्यूजक्लिक, बढ़ते कर्ज़, महीनों का बकाया किराया, बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज़ और अपने दो बेटों की शिक्षा पर होने वाले खर्च ने, हसनारा बेगम की रातों की नींद हराम कर रखी है और उसका परिवार दैनिक भोजन के इंतजाम के लिए संघर्ष कर रहा है। पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर की रहने वाली हसनारा बेगम दिल्ली के उन लाखों निवासियों में शामिल हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं...
More »चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान: आरबीआई
-न्यूजक्लिक, मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 5.3 प्रतिशत रह सकती है। यह केंद्रीय बैंक के पूर्व अनुमान के अनुरूप है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि मुद्रास्फीति के अगले वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में नरम पड़कर पांच प्रतिशत पर आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का अनुमान पूर्व के अनुमान के लगभग अनुरूप है।...
More »फ्रांस की क्रांति, अरब- क्रांति, खाद्य-पदार्थों की कीमतें और जलवायु-परिवर्तन
-डाउन टू अर्थ, यह साल अब खत्म होने को है। कोरोना महामारी, अपने नए ओमिक्रॉन रूप के साथ थमने का नाम नहीं ले रही है, और जलवायु परिवर्तन की पहले से मौजूद विपदा भी नए रिकॉर्ड बनाती जा रही है। ऐसे में दिसंबर की शुरुआत में ही एक नए झटके ने हम सब पर असर डाला-वह है खाद्य-पदार्थों की बढ़ती कीमतों में जलवायु-परिवर्तन की भूमिका। कोरोना ने जिन करोड़ों लोगों को गरीबी...
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