केंद्र और राज्यों के मध्य बेहतर तालमेल और योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये 1990 में अंतर्राज्यीय परिषद का गठन हुआ था। वर्ष 2006 तक इसकी दस बैठकें हो चुकी थीं। गत जुलाई 16 को परिषद की 11वीं बैठक लगभग एक दशक बाद दिल्ली में बिना किसी ठोस निर्णय के पूर्ण हुई। जिसमें कई राज्य शामिल ही नहीं हुए। उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश सरकारों के खिलाफ भाजपा और केंद्र के हस्तक्षेप पर...
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दलित की शादी में खाना खाया तो गांव से कर दिया बहिष्कृत
बालाघाट। ब्यूरो। वारासिवनी की ग्राम पंचायत नांदगांव में एक समाज विशेष के लोगों द्वारा समिति बनाकर फरमान सुनाते हुए एससी समाज के लोगों से किसी भी प्रकार का संबंध रखने वालों को गांव से बहिष्कृत किया जा रहा है। पहले सिर्फ एससी समाज के लोग बहिष्कृत होते थे लेकिन अब अन्य समाज के लोगों को भी बहिष्कृत किया जा रहा है। बहिष्कृत होने पर दो ग्रामीणों ने अजाक्स थाने में...
More »कश्मीर के पहले IAS टॉपर का Blog- जब कश्मीरी से जरूरी गाय हो जाएगी तो गुस्सा भारत पर ही निकलेगा
बात 13 जुलाई (2016) की है। कश्मीर की सड़कों पर सुबह से कर्फ्यू लगा था। बीच-बीच में कश्मीर की ‘आजादी' के नारे गूंजने लगते फिर उन्हें शांत करने के लिए आंसू गैस छोड़ी जाती। इस सबके बीच मेरा एक साल का बेटा सोने की कोशिश कर रहा था। उस देखकर मुझे मेरा बचपन याद आ गया। लगभग 30 साल पहले की बात है। वह 85वां शहीदी दिवस था। सड़कों पर...
More »सामाजिक न्याय का अधूरा सपना-- प्रमोद मीणा
नौवें दशक के बाद से भारतीय राजनीति में दलित दलों और दलित नेताओं की स्वतंत्र पहचान बनी है और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी का सीधा मौका भी मिला है। पर अब इस प्रश्न पर विचार करने की जरूरत है कि इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हम किस तरह देख सकते हैं। क्या इसे स्वातंत्र्योत्तर भारत में लोकतंत्र की एक महान उपलब्धि के रूप में...
More »हिंसा से बेअसर भारतीय मध्य वर्ग-- आकार पटेल
भारत में ऐसे तीन बड़े इलाके हैं, जहां लंबे समय से हिंसक संघर्ष चलता आ रहा है. पहला, जम्मू-कश्मीर है, दूसरा मध्य भारत का आदिवासी क्षेत्र है जो झारखंड, ओड़िशा व छत्तीसगढ़ से जुड़ा हुआ है, और तीसरा हिस्सा पूर्वोत्तर भारत का जनजातीय इलाका है. इन संघर्षों की जमीनी हकीकत को समझने के लिए इसकी प्रकृति से संबंधित कुछ अहम तथ्यों को जानना जरूरी है. उत्तर में जम्मू-कश्मीर की समस्या...
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