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सूचनाधिकार की सार्थकता पर सवाल-- सतीश सिंह

सूचनाधिकार यानी आरटीआइ कानून को लागू हुए पिछले अक्तूबर में दस वर्ष हो गए। इतने साल बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि मौजूदा समय में कहां तक आरटीआइ सार्थक है। 16 अक्तूबर को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) द्वारा आयोजित दसवें वार्षिक सम्मेलन में गिने-चुने आरटीआइ कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया, जबकि इसमें आरटीआइ की दशा और दिशा पर चर्चा होनी थी। गौरतलब है कि इन दस सालों में सीआइसी को...

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सर्वोच्च न्यायालय का समान नागरिक संहिता पर दखल से इनकार

सर्वोच्च न्यायालय ने मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले कथित भेदभाव को रोकने के लिए संसद को समान नागरिक संहिता बनाने का निर्देश देने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह संसद का रुख करे, अदालत का वक्त न जाया करे। यह जनहित याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी। अश्विनी भारतीय...

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अंत्योदय अन्न योजना- विवादित प्रावधान से पीछे हटी सरकार

अंत्योदय अन्न योजना में शामिल ढाई करोड़ लोगों के लिए आखिरकार राहत भरी खबर हैं.   सरकार ने बीते मार्च महीने में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी उस प्रावधान को हटा लिया है जिसमें नए परिवारों को नए अंत्योदय कार्ड जारी नहीं करने की बात कही गई थी.(देखें नीचे दी गई लिंक संख्या-1)   केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के 20 मार्च के एक आदेश में प्रावधान...

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रैन बसेरा को गिराकर बनाया स्टेट बैंक, बिरहोरों में आक्रोश

धरमजयगढ़/रायगढ़ (निप्र)। जनपद पंचायत ने बिरहोर समाज के लिए बने रैन बसेरा को गिराकर बैंक के लिए भवन बना दिया है। उस भवन में बिरहोर अपनी बैठकें करते थे व दूर से आने और रात हो जाने पर वहीं विश्राम करते थे। अब प्रशासन इस बारे में सफाई भी नहीं दे पा रहा है। वहीं आदिवासी विकास परियोजना ने जनपद पंचायत को वैकल्पिक नया भवन देने के लिए निर्देशित किया...

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चेन्नई बाढ़ : एक मानव निर्मित त्रासदी

चेन्नई की बाढ़ जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों का एक भयावह उदाहरण तो है ही, इससे हुई तबाही ने मानव समाज की खतरनाक गलतियों के नतीजों को भी रेखांकित किया है.  हाल के वर्षों में उत्तराखंड, कश्मीर समेत देश के विभिन्न इलाकों में बाढ़ की त्रासदी का कहर लगातार बढ़ा है. तेज शहरीकरण और विकास की आपाधापी में सरकार और समाज प्राकृतिक तंत्रों को बेतहाशा बरबाद कर रहे हैं. नदियां...

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