कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...
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क्या वाकई बहुरेंगे रेडियो के दिन- गोविन्द सिंह
यों तो बीते साल बहुत-सी बातें पहली बार हुईं, लेकिन मीडिया के क्षेत्र में जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात हुई, वह थी, रेडियो को मिली अप्रत्याशित तवज्जो। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो को अपने 'मन की बात' कहने के लिए चुना, उससे यह उम्मीद बंधी कि आने वाले दिनों में रेडियो के दिन बहुरेंगे। इंदिरा गांधी के बाद शायद मोदी ही ऐसे राजनेता हैं, जिसने रेडियो...
More »निजी कर्मचारियों पर पड़ेगी अभावग्रस्त बुढ़ापे की मार
नई दिल्ली, ब्यूरो। निजी क्षेत्र में काम करने वाले 92 फीसद कर्मचारी अगर समय रहते नहीं चेते तो उन्हे बेहद तनावपूर्ण व आर्थिक तंगी से जूझते बुढ़ापे के लिए तैयार रहना चाहिए। देश में बेहतर पेंशन उत्पादों की कमी, लोगों के बीच जागरूकता का अभाव और सरकार व निजी क्षेत्र की तरफ से पर्याप्त ध्यान नहीं देने की वजह से अधिकांश प्राइवेट कर्मचारियों के पास पेंशन के लिए कोई सुविधा...
More »अनजान देश से शिक्षा का सबक
दक्षिण अफ्रीका के बीचोबीच, एक देश है लेसोथो. हम में से कई लोगों ने शायद इसका नाम भी न सुना हो. लगभग 30 हजार वर्ग किमी में फैले इस देश की जनसंख्या बमुश्किल 25 लाख है. लेकिन आज इस देश की यहां चर्चा इसलिए हो रही है कि इसने बच्चों की शिक्षा के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया है. इस देश में मोबाइल फोन पर बच्चों का होमवर्क कराया जा...
More »शिक्षा की अलख जगा रही आदिवासी महिला सरपंच
रघुनंदन सोनी-कोरबा। यूं तो जिले में 185 महिला सरपंच है, पर इनमें सबसे पढ़ी-लिखी महिला सरपंच की बात करें तो सबसे पहले रेणुका राठिया का नाम सामने आता है। राजनीति शास्त्र में एमए करने वाली रेणुका पिछले 10 साल से न केवल घर का चूल्हा चौका करती है बल्कि पंचायत का कामकाज भी निपटाती है। इसके अलावा उसका प्रमुख मिशन ग्रामीणों को शिक्षित करना भी है। इसके लिए वह बच्चों...
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