-डाउन टू अर्थ, जनवरी में गन्ने की कटाई के समय भरी दोपहरी में गन्ना खेत मजदूर वंदना खंडाले अपने घर पर खाली बैठी हुई है। पूछने पर कहती है कि उसके घुटनों में भयानक दर्द हो रहा है और हमेशा थकान रहती है। खेत में काम करते हुए थक जाती है और इतनी झुंझलाहट होती है कि काम करना मुश्किल हो गया है। वंदना अभी 30 वर्ष से कम उम्र की है,...
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बैगा आदिवासियों की बेंवर खेती - बाबा मायाराम
मध्यप्रदेश के मंडला जिले में बैगा आदिवासी बेंवर विधि से खेती करते हैं। इसी विधि से ही छत्तीसगढ़ में बैगा व पहाड़ी कोरवा आदिवासी खेती करते हैं। पिछले कुछ समय से इसमें कमी आई है, पर अभी भी यह काफी प्रचलित है। बेंवर विधि से खेती बिना जुताई की जाती है, जिसके लिए पहले ग्रीष्म ऋतु में पेड़ों की छोटी-छोटी टहनियों, पत्ते, घास और छोटी झाड़ियों को एकत्र कर उनमें आग...
More »किसानों को नहीं मिल रहा दालों का समर्थन मूल्य, फिर भी आयात 4 फीसदी बढ़ा
-आउटलुक, किसानों को अरहर, चना और मसूर समर्थन मूल्य से 800-900 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है। इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान ही दालों का आयात 4 फीसदी बढ़कर 26.28 लाख टन हो गया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार अप्रैल से जनवरी के दौरान दालों का आयात बढ़कर 26.28 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले...
More »खरपतवार के साथ प्राकृतिक खेती -बाबा मायाराम
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद शहर से कुछ ही दूरी पर है टाइटस फार्म। होशंगाबाद भोपाल सड़क मार्ग पर नर्मदा नदी के तट पर स्थित इस इलाके में प्राकृतिक खेती होती है जोकि जमीन की जुताई किए बगैर की जाती है। इस इलाके में फसल के अवशेषों को जलाने के बजाय उससे भूमि ढकाव करते हैं, जिससे खेत में नमी रहती है और जल संचय होता है। उसमें पनपने वाले केंचुए और...
More »पलायन से बदल सकता है उत्तराखंड का राजनीतिक भूगोल
-न्यूजलॉन्ड्री, हिमालयी राज्य उत्तराखंड के ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली 35 प्रतिशत आबादी वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से अब तक अपना पैतृक निवास छोड़ चुकी है. 20 सालों में पलायन की यह गति बेहद भयावह है. आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड सुदूर पर्वतीय इलाकों से रोजाना औसतन 246 लोगों का पलायन हो रहा है. अगर इसी गति से पलायन जारी रहा तो उत्तराखंड का पूरा राजनीतिक...
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