देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...
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असहिष्णु होता समाज और हिंसा का उत्सव
बिहार के नालंदा में एक निजी स्कूल के निदेशक को सरेआम पीट-पीटकर मार डाला गया। देखने में, यह घटना स्थानीय लोगों के गुस्से की अभिव्यक्ति लगती है। स्कूल के दो बच्चों के गायब होने और फिर उनकी लाश मिलने के बाद लोगों का क्रोध भड़क उठा था। दो मासूमों की मौत काफी पीड़ादायक घटना है और उनकी लाश मिलने पर गुस्सा भी स्वाभाविक है, पर गुस्से में हत्या की वारदात...
More »राजनीतिक बिसात पर आंबेडकर- कुमार प्रशांत
बिहार का आसन्न चुनाव कितने नये रंग बिखेर रहा है! एक नया परिवार ही जन्म लेने, न लेने के पसोपेश में पड़ा है, तो एक नया आंबेडकर भी पूजा के स्थान पर प्रतिष्ठित किया जा रहा है. यह कितना अजीब है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जिन्होंने कभी भाग नहीं लिया; जो आजादी की लड़ाई में कभी जेल नहीं गये; आजादी की लड़ाई की जगह जिन्होंने वॉयसराय के दरबार की...
More »नेट निरपक्षेता का उल्लंघन अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है : NASSCOM
नयी दिल्ली : आईटी उद्योग के संगठन नासकाम ने नेट निरपेक्षता का पुरजोर समर्थन करते हुए आज कहा कि इंटरनेट पहुंच में किसी तरह का भेदभाव अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन ही है. नासकाम के अध्यक्ष आर चंद्रशेखर ने संवाददाताओं से यह बात कही. उन्होंने कहा, डेटा के प्लेटाफार्मों तक पहुंच पर किसी भी तरह का प्रतिबंध अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध के समान ही है क्योंकि मेरी अभिव्यक्ति की आजादी...
More »आदिवासियों, किसानों की जमीन बचाने से हो शुरुआत- सच्चिदानंद सिन्हा
बुजुर्ग समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के लेख व भाषण हम समय-समय पर छापते रहते हैं, जिनमें वह बार-बार चिह्न्ति करते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के विनाश के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो है औद्योगीकरण और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था. और अगर इनसान नहीं चेता, तो इसी की वजह एक दिन वह खुद भी नष्ट हो जायेगा. एक और क्षेत्र उनकी चिंता में स्थायी रूप से रहता है कि अब...
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