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टूटी हुई खाद्य प्रणाली और किसानों के लिए फ्री मार्केट का औचित्य?

-गांव कनेक्शन,  "1980 के दशक में किसान प्रत्येक डॉलर में से 37 सेंट घर ले जाते थे। वहीं आज उन्हें हर डॉलर पर 15 सेंट से कम मिलते हैं," यह बात ओपन मार्केट इंस्टीट्यूट के निदेशक ऑस्टिन फ्रेरिक ने कंजर्वेटिव अमेरिकन में लिखी है। उन्होंने इस तथ्य के जरिये इशारा किया कि पिछले कुछ दशक में किसानों की आमदनी घटने की प्रमुख वजह चुनिंदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती आर्थिक ताकत है।...

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पर्दे के पीछे, ‘मिशन आत्मनिर्भर’ की कठपुतली बड़ी कंपनियों की उंगलियों पर थिरकने लगे

-इंडिया टूडे, अब केवल दो कंपनियों की मोबाइल सेवा चलती है. हवाई यात्रा से बेबी फूड तक और मक्खन से लेकर म्युचुअल फंड तक बाजार में एकाधिकार जम गए हैं. उपभोक्ताओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. मोबाइल फोन पर मई, 2025 की कोई तारीख दिख रही है. नौकरी की चिंता में मुश्किल से सो पाया, वरुण चौंककर जग गया. आत्मनिर्भरता की आवाजों के बीच बाजार पर एकाधिकार या कार्टेल का खतरा मंडरा...

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भारत में ‘गन्स, जर्म्स और स्टील का संकट’ है, लेकिन भारतीय उद्योग जगत ख़ामोश है

-द प्रिंट,  ‘डर की वजह से बहुत से लोग बोलते नहीं हैं, लेकिन सवाल ये है, कि किस चीज़ का डर?’ ये सवाल उद्योगपति राजीव बजाज ने, कोरोनावायरस से निपटने के विषय पर, हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ एक बातचीत में किया. ये वीडियो क्लिप भारत के कॉरपोरेट जगत के प्रमुखों के बीच, निजी व्हाट्सएप ग्रुप्स पर व्यापक रूप से वायरल हुई, और उनकी साफ़दिली के लिए...

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एकाध को छोड़, ज्यादातर राज्यों ने इस लॉकडाउन में जरूरतमंद दिव्यांगजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया

कोविड-19 महामारी के इस दौर में दिल्ली के एक गैर-लाभकारी संगठन – नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फॉर डिस्बेल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि देश में दिव्यांगजन इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.   एनसीपीईडीपी की रिपोर्ट के अनुसार विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के दिव्यांगजन, लॉकडाउन के दौरान गंभीर कठिनाइयों से गुजर रहे थे. भोजन...

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संकट: एटलस साइकिल के पहिए थमे, क़रीब एक हज़ार कर्मचारी ले-ऑफ

-न्यूजक्लिक,  “जब तक संचालक धन का प्रबंध नहीं कर लेते, तब तक वे कारखाने में कच्चा माल खरिदने में भी असमर्थ हैं। ऐसी स्थिति में संचालक फैक्ट्री चलाने की स्थिति में नहीं हैं। अंत: सभी कामगार दिनांक 3 जून से बैठकी (ले-ऑफ) पर घोषित किए जाते हैं।” ये भाषा देश की सबसे पुरानी साइकिल कंपनी एटलस (Atlas Cycles) के ग़ाज़ियाबाद प्लांट के गेट पर लगे नोटिस की है। एटलस प्रबंधन के अनुसार...

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