कृषक जगत, 01 नवम्बर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दुगना करने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2022 को गुजरने में अब मात्र दो माह का समय शेष है। हालांकि सरकार ने इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु 2015-16 को आधार वर्ष माना है, जहां किसान की औसत वार्षिक आय रुपये 93216 आंकलित की गई थी। बेशक गत छ: वर्षों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पूर्व...
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जीएम सरसों: एमएनसी का मायाजाल
पत्रिका, 28 अक्टूबर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मायाजाल बढ़ता जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से विकसित किए गए जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की किस्म डीएमएच-11 (धारा मस्टर्ड हाइब्रिड) को जेनेटिक इंजीनियरिग अप्रेजल कमेटी (जेइएसी) से एनवायरमेंटल रिलीज की अनुमति मिल जाना बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मायाजाल का ताजा विस्तार है। जेइएसी की बैठक में डीएमएच-11 को चार साल के लिए मंजूरी दी गई है। अगले दो साल तक इंडियन काउंसिल ऑफ...
More »मिट्टी में ख़तरनाक ढँग से जमा हो रही है प्लास्टिक, UNEP की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र समाचार, 18 अक्टूबर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की सोमवार को प्रकाशित एक नवीन रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में खेती-बाड़ी में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक, कृषि-भूमि में ख़तरनाक ढँग से जमा हो रही है, जोकि चिन्ताजनक है. कृषि कार्यों में प्लास्टिक का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है. प्लास्टिक से लेपे गए बीजों से लेकर मिट्टी के तापमान में बदलाव लाने और फ़सलों पर जंगली घास उगने की रोकथाम...
More »क्या बायो-सीएनजी बन सकता है भारत के नवीन ऊर्जा के भविष्य का एक प्रभावशाली विकल्प?
मोंगाबे हिंदी, 17 अक्टूबर इस साल अगस्त के महीने में पंजाब सरकार ने घोषणा की कि राज्य में संपीडित (कंप्रेस्ड) बायोगैस (सीबीजी) का व्यावसायिक उत्पादन संगरूर के भुट्टन कलन नाम के गांव से बड़े पैमाने में शुरू हो गया है। प्रतिदिन 33.23 टन की उत्पादन क्षमता वाले इस प्लांट को एशिया में सीबीजी का सबसे बड़ा प्लांट बताया जा रहा है। इसी के साथ पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (PEDA) ने 42...
More »नीम के पत्ते से तैयार करें जैविक खाद, मिलेगा बेहतर उत्पादन, पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद
दैनिक जागरण, 11 अक्टूबर रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किए बिना खेती बारी करना असंभव सा होता जा रहा है। कीटनाशकों के प्रयोग से तैयार होने वाली फसल का सेवन करने से मानव जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसके साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। इससे उबरने के लिए काशीपुर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जैविक खेती करने की दिशा में कदम उठाया गया है। जैविक खेती करने से...
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