एक जमाना था, जब कक्षा से चुनावी भाषणों तक में ‘अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है?' जैसे जुमले सुनने को मिलते थे. भला हो राग दरबारी के लेखक श्रीलाल शुक्ल का, जिन्होंने इस उपन्यास के मार्फत आजादी के बाद हमारे बदहाल गांवों की असलियत दिखाकर इस पाखंड पर ऐसी चोट की कि पढ़ने-लिखनेवाले लोग इस भावुक और निरर्थक मुहावरे से बचने लगे. फिर ‘90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण...
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झारखंड में 3 जिले, 60 ब्लॉक और 1314 पंचायतें खुले में शौच से मुक्त
रांची : झारखंड में 18 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया है. तीन जिले, 60 ब्लाॅक और 1314 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है. ये बातें झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने बजट सत्र के पहले दिन राज्य विधानसभा में अपने अभिभाषण में कहीं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण, स्वच्छ भारत अभियान, झारखंड कौशल मिशन और जोहार योजना...
More »तनाव के कगार पर असम-- योगेन्द्र यादव
असम बारूद के ढेर पर बैठा है. वहां की पार्टियां इसमें आग सुलगाकर वोट की रोटी सेंक रही हैं. बाकी देश आंख मूंदे बैठा है या सोच रहा है कि जब विस्फोट होगा, तब देखा जायेगा. समस्या पुरानी है, लेकिन संदर्भ नया है. विदेशी अाप्रवासियों का सवाल कई दशकों से असम का नासूर बना रहा है. आजादी के बाद से ही राज्य में देश के भीतर और बाहर दोनों तरफ...
More »अर्थव्यवस्था की गतिकी-- संदीप मानुधने
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के वर्षभर के पहले अग्रिम आकलन के मुताबिक सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वार्षिक वृद्धि दर का आंकड़ा अनुमान से काफी कम आया है. सीएसओ का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 फीसदी के दर से बढ़ेगी, जबकि रिजर्व बैंक का आकलन 6.7 फीसदी का था. यह अन्य अनुमानों से भी कम ही है. अपने-आप में जीडीपी की वृद्धि दर शायद बहुत अधिक...
More »पीडीएस को खत्म कर देगा डीबीटी-- ज्यां द्रेज, रीतिका खेड़ा, आकाश रंजन
झारखंड में हाल ही में हुई भुखमरी से मौतों से जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) की अहमियत उजागर होती है. राज्य में लाखों परिवार भूख की कगार पर रह रहे हैं और जन पीडीएस उनके लिए जीवन की डोर की तरह है. एक हल्के से झटके से यह डोर टूट सकती है और इनको भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है. पिछले साल जब पीडीएस में आधार द्वारा अंगूठे का सत्यापन...
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