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महाघोटाले की 'जमीन'- शिरीष खरे(तहलका)

किस तरह जयपुर में 1500 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन को प्रशासनिक अधिकारियों और बड़े रसूख वालों की आवासीय कॉलोनी में बदलने के लिए एक नहीं बल्कि दर्जनों नियम तोड़े गए. शिरीष खरे की रिपोर्ट जयपुर के पॉश इलाके से गुजरते हुए शहर को जोड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है जेएलएन मार्ग. यहां जमीनों के भाव आसमान छूते हैं. यहीं गुलाबी शहर के सबसे कीमती इलाके जवाहर सर्किल से सटी है...

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बरसाती नाले में डूबने से छह स्कूली बच्चों की मौत

बीकानेर। बीकानेर जिले के कोलायत थाना इलाके में नबाना भाटिया गाव के निकट बरसाती नाले में डूबने से मंगलवार को छह स्कूली बच्चों की मौत हो गई। मरने वाले स्कूली बच्चों की उम्र 10 से 13 वर्ष के बीच है और इनमें दो लडकिया शामिल है। कोलायत थानाधिकारी धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि हनुमानपुरा की ढाणी में स्थित प्राथमिक स्कूल के बच्चे सुमेर सिंह [10], चुका [13], सुमन...

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खनन ने किया खोखला

शिमला। पर्यावरण प्रदेश की नींव है, लेकिन खनन के कारण यह खोखली होती जा रही है। प्रदेश सरकार ने अवैध खनन की रोकथाम के लिए समस्त उपायुक्त, अतिरिक्त उपायुक्त, समस्त उपमंडल मजिस्ट्रेट, उद्योग विभाग, वन विभाग, पुलिस, समेत आईपीएच तथा लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी और सहायक अभियंताओं को भी चालान करने के लिए प्राधिकृत कर दिया है। जब भी इन विभागों से बात की जाती है तो यह साल-छह महीने...

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सीएसई का बारहवां मीडिया फैलोशिप- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई

    सेंटर फॉर साईंस एंड एन्वायर्न्मेंट (सीएसई) की पापिया समजदार से प्राप्त सूचना के अनुसार सीएसई के बारहवें मीडिया फैलोशिप- वाटरबॉडीज इन इंडिया: पब्लिक स्पेस, प्राइवेट डिजायन-  में आवेदन करने की अंतिम तिथि बढाकर 31 मई,2011 कर दी गई है। इस सिलसिले में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए कृपया निम्नलिखित नंबर पर फोन या फैक्स करें-  फोन: 011-29955124, 29955125, फैक्स: 011-29955879' 9811906977 ईमेल:   उद्योग-धंधे, शहरीकरण, बढ़ती आबादी, आधे-अधूरे कानून-- जमीन ही नहीं जलाशयों पर भी इन सबका...

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गंदा है, पर धंधा है- विमलेश मिश्र

विमलेश मिश्र, जमशेदपुर : ये दूसरों की गंदगी साफ करते, मगर खुद नारकीय जीवन जी रहे हैं। गंदगी साफ करते-करते चर्म, टीबी व कुष्ठ जैसे असाध्य रोग इन्हें घेर लेते हैं। अनुसूचित जाति के हैं, मगर सुविधा कुछ को ही। पहले सफाई के लिए सरकार या कंपनी से नौकरी मिल जाती थी, अब ठेकेदार से मिलने वाली मजदूरी पर जीवन टिका है। संसद ने कानून बना सिर पर मैला ढोने...

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