मध्यप्रदेश के सतना जिले के बीरपुर गांव के 42 परिवार इस महीने की शुरुआत से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनाज देने के मामले में हो रही कालाबाजारी की तरफ ध्यान खींचने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलनकारी परिवार के लोगों की मांग है कि सतना जिले के कलेक्टर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनाज के आबंटन में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करें और उन्हें अधिकार के अनुरुप सरकारी राशन...
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लूट की छूट- आशीष खेतान
छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को हो रहा है जिन पर मुख्यमंत्री रमन सिंह की कृपादृष्टि है. आशीष खेतान की रिपोर्ट. साल 2011 की बात है. दीवाली का मौका था. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चर्चित अखबार ‘पत्रिका’ के स्थानीय संपादक गिरिराज शर्मा के पास एक विशेष उपहार पहुंचा. राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यालय की तरफ से...
More »पीड़ा में पहाड़िया- निराला की रिपोर्ट
झारखंड से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश और उड़ीसा तक फैले पहाड़िया समुदाय के लिए जिंदगी उतनी ही दुश्वार है जितनी सदियों पहले थी. धरती के सबसे पुराने बाशिंदे कहे जाने वाले इन लोगों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं. निराला की रिपोर्ट. हम झारखंड के सुंदरपहाड़ी इलाके के पहाड़ों पर हैं. चेबो नाम के एक गांव में, जिस तक उजले भारत की कोई चमक अब तक नहीं पहुंची है, हां, शोषण जरूर उन...
More »मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण
मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण सरकार की वेबसाइटों पर हिंदी की घोर उपेक्षा दिखाई देती है। हिंदी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग व संस्थान के साथ संसद की वेबसाइटों के एक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि सरकार को हिंदी की कतई परवाह नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि हिंदी भाषियों के एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट...
More »एक मूर्खता से उठी आंधी- एम जे अकबर
सार्वजनिक जीवन में कौन-सा अपराध बड़ा है, भ्रष्टाचार या मूर्खता? इस सवाल का जवाब देने के लिए आप समय ले सकते हैं. अगर भ्रष्टाचार राजनीतिक मृत्युदंड होता, तो यूपीए कैबिनेट का अधिकांश हिस्सा 2009 के चुनावों में जीत हासिल नहीं करता. संभवत: भ्रष्टाचार का आकलन उसके फैलाव से किया जाता है. जब भ्रष्टाचार का स्नेहक बड़ी लूट में तब्दील हो जाता है, तब वोटर तय करता है कि अब बहुत हो...
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