‘जो कुछ भी गोपनीय रखा जाता है, पूरी तरह बताया और समझाया नहीं जाता, अनेक प्रश्न अनुत्तरित रखकर किया जाता है; वह बाद में सड़ने लगता है। चाहे इस तरह किया गया न्याय ही क्यों न हो। - पुरानी कहावत मृत्युदंड दिया जाना चाहिए कि नहीं? प्रभावी और मेधावी लब्धप्रतिष्ठितों की स्पष्ट राय है - नहीं? उनके चार तर्क हैं : 1. क्योंकि यह तो ‘आंख के बदले अांख' का विकृत कानून हो...
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कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा
सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...
More »परीक्षाओं में धांधली की बढ़ती चुनौती - प्रेमपाल शर्मा
शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब देश में चल रही परीक्षाओं को लेकर कोई घोटाला सामने न आए। पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के कई पेपर लीक हुए। ठीक इसी वक्त मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में हुई धांधली का मामला भी सुप्रीम कोर्ट के सामने है, जिसने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले के बारे में...
More »न्यूनतम सरकार अधिकतम शोषण- के सी त्यागी
श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...
More »परीक्षाओं में धांधली की बढ़ती चुनौती - प्रेमपाल शर्मा
शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब देश में चल रही परीक्षाओं को लेकर कोई घोटाला सामने न आए। पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के कई पेपर लीक हुए। ठीक इसी वक्त मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में हुई धांधली का मामला भी सुप्रीम कोर्ट के सामने है, जिसने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले के बारे में...
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