मणिपुर में उग्रवाद और उग्रवाद के विरोध में जारी हिसंक गतिविधियों के चलते बीते कई दशकों से बच्चे हिंसा की कीमत चुके रहे हैं. यह सीधे तौर से गोलियों और अप्रत्यक्ष तौर से गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण की तरफ धकेले जा रहे हैं. राज्य में स्थितियां तनावपूर्ण होते हुए भी कई बार नियंत्रण में तो बन जाती हैं, मगर स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी ढ़ांचे कुछ इस तरह से चरमराए हैं...
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बच्चों की कब्रगाह है मेलघाट-शिरीष खरे
विदर्भ को देश भर में किसानों की आत्महत्या वाले इलाके के रुप में जाना जाता है लेकिन इसी इलाके में सतपुड़ा पर्वत में बसी मेलघाट की पहाड़ियों में छोटे बच्चों की मौत के आंकड़े पहाड़ियों से ऊंचे होते चले जा रहे हैं. साल दर साल कोरकू आदिवासियों के हजारों बच्चे असमय काल के गाल में समाते चले जा रहे हैं. कुपोषण मेलघाट में 1993 को पहली बार कुपोषण से बच्चों के मरने...
More »विषरोधी दवा का स्टॉक खाली
जबलपुर. बारिश की शुरुआत में ही सर्पदंश के मामले बढ़ गये हैं पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सामुदायिक चिकित्सालयों में इसकी दवा का स्टॉक खाली है। स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है कि विषरोधी एण्टी स्नेक वेनम सभी अस्पतालों में पहुंचा दिया गया है,लेकिन हकीकत यह है कि गांवों के अस्पतालों से सर्पदंश पीड़ित निराश लौट रहे हैं। विक्टोरिया अस्पताल में एक जून से अभी तक तीन मामले सर्पदंश के आये,...
More »स्वास्थ्य मिशन से एनजीओ का पत्ता साफ
नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। सोनिया गांधी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सलाहकार समिति [एनएसी] भले ही तमाम सरकारी योजनाओं में गैर सरकारी संगठनों [एनजीओ] की भूमिका बढ़ाने के रास्ते तलाश रही है। लेकिन, स्वास्थ्य सुविधाओं को तेजी से गांवों तक पहुंचाने के इरादे से बड़ी तादाद में एनजीओ की मदद लेने की स्वास्थ्य मंत्रालय की योजना को फिलहाल ब्रेक लग गया है। ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री सीपी जोशी...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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