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क्या सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जनजातियों को मिले अधिकारों को बोझ समझता है?

-द वायर, चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का हालिया फैसला हमें एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है. राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के वर्ष 2000 के...

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लू लगना असल में होता क्या है और क्यों यह खतरनाक है?

-सत्याग्रह,  हमारे पिताजी का प्रिय जुमला था, ‘चलो, जरा इस स्साले की लू उतारते हैं…’ कोई ज्यादा अकड़ दिखाये, बदमाशी करे, आंय-बांय बोले तो वे मानते थे कि इसके दिमाग में गर्मी चढ़ गई है जिसे समय रहते ठंडा करने की आवश्यकता है वर्ना इसका दिमाग स्थाई तौर पर खराब हो सकता है. ‘किसी की लू उतारना’ यह कहावत एक हद तक मेडिकली भी सही तथ्यों पर आधारित है. लू (हीट स्ट्रोक)...

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एक्सक्लुसिव इंटरव्यू: “पढ़ाई पटरी पर लाने के दिशानिर्देश जल्द” -रमेश पोखरियाल निशंक

-आउटलुक,  अचानक आई कोविड महामारी ने स्कूल-कॉलेज से लेकर सरकार तक, किसी को संभलने का मौका नहीं दिया। जिस समय संकट आया, उसी वक्त स्कूलों और कॉलेजों की परीक्षाओं के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों की प्रवेश परीक्षाएं होती हैं। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि छात्रों की पढ़ाई और साल बर्बाद न हो। छात्रों की परेशानियां दूर करने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है, राज्यों...

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कश्मीर में मीडिया और इंटरनेट पर लगाए गए प्रतिबंधों से भारत की प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग गिरी, हालांकि स्कोर में हुआ सुधार

हाल ही में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स - आरएसएफ) जोकि एक मीडिया वॉचडॉग संगठन है और अभिव्यक्ति व सूचना की स्वतंत्रता के लिए काम करता है, ने एक रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 2018 हुई छह पत्रकारों की हत्याओं से उल्ट साल 2019 में पत्रकारों की हत्या का एक भी मामला सामने नहीं आया. तब भी यह कहना गलत होगा कि...

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फेक न्यूज़, कोरोना महामारी, मुसलमान और सूचना की राजनीति

-न्यूजलॉन्ड्री, सरकार और फेक न्यूज़ यह बड़ा विरोधाभासी लगता है कि हम कोरोना महामारी का इलाज बड़ी गंभीरता से खोज रहे हैं. जिसका इलाज भरसक कोशिशों के बावजूद अब तक संभव नहीं हुआ है. लेकिन ‘फेक न्यूज़’ से उत्पन्न हो रहे निरंतर खतरों को खतरा या बीमारी मानने को तैयार नही हैं, जबकि इसका इलाज हमारे नियंत्रण में है. इसमें एक तर्क हो सकता है कि अभी हमारी सरकार को ‘फेक न्यूज़’ से...

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