-जनपथ, अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट में तब के मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यम की पीठ ने मशहूर पर्यावरणविद एम. के. रणजीतसिंह द्वारा दो साल पहले दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक टिप्पणी की थी, कि पर्यावरण के मामले में न्याय तभी मिल पाएगा जब हम मानव-केंद्रित ‘एंथ्रोपोसेंट्रिज्म’ के सिद्धांत से हटकर प्रकृति-केंद्रित ‘ईकोसेंट्रिज्म’ की तरफ जाएं, जिसमें इंसान प्रकृति का हिस्सा है और...
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कोविड-19 राष्ट्रीय टास्क फोर्स के प्रमुख विनोद पॉल के काम से असंतुष्ट विशेषज्ञ
-कारवां, इस महामारी से निपटने में भारत के जो प्रयास थे उनकी छानबीन विनोद के॰ पॉल की भूमिका के अध्ययन के बिना नहीं की जा सकती. राष्ट्रीय टॉस्क फोर्स का नेतृत्व करने के अलावा पॉल नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप आन वैक्सिन एडमिनिस्ट्रेशन के भी अध्यक्ष हैं. यह ग्रुप देश में कोविड-19 के टीकाकरण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करता है और देशभर में टीके की व्यवस्था करने से संबंधित निर्णय लेता है. नीति आयोग...
More »आतंकरोधी कानून/राज्य दर्पण/डरो, डरो, जल्दी डरो
-आउटलुक, पता नहीं, बुजुर्ग आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मौत ने झकझोरा या नहीं, लेकिन अरसे बाद सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह की प्रासंगिकता पर सवाल उठा और कई हाइकोर्टों से यूएपीए, एनएसए जैसे कानूनों के दुरुपयोग पर तीखे फैसले आए तो सुलगते सवाल ज्वाला की तरह फूट पड़े। बेशक, हाल के कुछ वर्षों में असहमति और असंतोष को दबाने की खातिर इन कानूनों के दुरुपयोग के मामले बेहिसाब बढ़े हैं,...
More »COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!
मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...
More »अरुंधति रॉय: पेगासस को महज एक नया तकनीकी हथकंडा कहकर नकारना एक गंभीर गलती होगी!
-गांव सवेरा, भारत में मौतों की मनहूसी का मौसम बड़ी तेज़ी से जासूसी के मौसम में बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर उतर गई है, और अपने पीछे छोड़ गई है अंदाज़न 40 लाख भारतीयों की मौतें। मौतों का आधिकारिक सरकारी आंकड़ा इसका दसवां हिस्सा है– चार लाख। नरेंद्र मोदी की इस खौफनाक हुकूमत (डिस्टोपिया) में, जब श्मशान घाटों पर धुआं छंटने लगा और कब्रिस्तानों की मिट्टी...
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