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इस फसल को चाहिए नई बहार- हरजिंदर

बरसों से वे हमारे दरवाजे पर खड़ी थीं और हम कोई फैसला नहीं कर सके, वही जीएम या जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें अब जब पिछले दरवाजे से हमारे घर में घुस आई हैं, तो हम परेशान हैं कि इसका करें क्या? वैसे इसे रोकने के बाकायदा नियम-कानून हैं। पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत ऐसे लोगों के लिए पांच साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है,...

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देश के 91 बड़े जलाशयों में से 80 फीसदी में पानी सामान्य से कम, 11 जलाशय सूखे

नई दिल्ली: मानसून कछुए की गति से आगे बढ़ रहा है. मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल मौसम विभाग के 84 प्रतिशत उप संभागों (सबडिविजन) में बेहद कम बारिश दर्ज की गई है. वहीं, केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश के 91 बड़े जलाशयों में से 80 प्रतिशत में पानी सामान्य से कम है. यहां तक कि 11 जलाशयों में पानी का भंडारण शून्य प्रतिशत है...

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अगली सरकार की बड़ी चुनौतियां -- अनिल गुप्ता

इस समय जब लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया लगभग खत्म होने को है, तब अनेक मंत्रालयों को उन कार्यों की सूची बनाने के लिए कहा जाना चाहिए, जिनको भावी सरकार द्वारा पहले 100 दिनों में शुरू या पूरा कर लेना चाहिए। जो भी सरकार केंद्र की सत्ता में आए, उसे यह दिखाना होगा कि सामाजिक प्रभाव उसकी प्राथमिकता है। हम अभी मई के महीने में हैं और जून की शुरुआत या...

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गुजरात में बीते 30 सालों का सबसे भीषण सूखा

कच्छ/बनासकांठाः कच्छ और उत्तर गुजरात में आमतौर पर यह कहा जाता है कि हर तीन से चार साल में सूखा आम बात है लेकिन इन दोनों शुष्क क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने इस तरह से जीवनयापन करना सीख लिया है, लेकिन इस साल की स्थिति अपवाद है. सरकार भी यह मानती है कि राज्य में मौजूदा सूखे की स्थिति बीते 30 सालों में सबसे ख़राब है. मानसून के दौरान कच्छ...

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बढ़ते तापमान में मानसून की राहत- महेश पलावत

भारत में मानसून की भविष्यवाणी काफी अहमियत रखती है। इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह देश की कृषि-पैदावार और अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा तय करती है। चूंकि भारत की करीब 58 फीसदी आबादी अब भी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है और सिंचाई का प्रमुख साधन मानसूनी बारिश है, इसलिए इस भविष्यवाणी से यह आकलन किया जाता है कि खरीफ की फसल कितनी...

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